काशी के दशाश्वमेध घाट पर बांस के बने टोकरियों में आकाशदीप की टिमटिमाहट काफी आकर्षक लगती है। गुरुवार की देर शाम गणमान्य लोगों ने गंगा में 101 दीपों को भी प्रवाहित किया।

आश्विन पूर्णिमा से कार्तिक पूर्णिमा तक जलने वाले आकाशदीप गुरुवार को आसमान में झिलमिल कर उठे। एक तरफ शरद पूर्णिमा की चांदनी चटख हो रही थी तो दूसरी ओर प्राचीन दशाश्वमेध घाट पर शहीदों की याद में बांस के पोरों पर आकाशदीप जगमगाने लगे। शहीदों की राह रोशन करने के लिए काशी के नभमंडल में गुरुवार की शाम बांस की टोकरियों में आकाशदीप जलाए गए। गुरुवार की शाम को गंगातट से आकाशदीप जब कतार में गगन में जल उठे तो दिव्य नजारे ने सबको श्रद्धा से अभिभूत कर दिया। बांस की डलियों में टिमटिमाते दीप चंद्रहार की मानिंद झिलमिला उठे। गंगोत्री सेवा समिति की ओर से आकाशदीप लोगों की सुरक्षा के लिए अपने प्राण न्योछावर करने वाले पुलिस एवं पीएसी के 11 शहीदों की स्मृति में जलाए गए। इसके पूर्व गंगा की मध्यधारा में दीपदान भी किया गया। प्राचीन दशाश्वमेध घाट पर पुलिस और पीएसी के शहीद जवानों का नमन करते हुए आकाशदीप जलाने की शुरुआत पांच वैदिक आचार्यों ने मां गंगा के षोडशोचार पूजन से की। इसके बाद 101 दीपों को गंगा में प्रवाहित किया गया।