सदियों से गंगा-यमुना और अदृश्य सरस्वती के तट पर लगने वाले मेले में श्रद्धालु संगम स्नान के साथ संतों का आशीर्वाद लेने आते हैं। दशकों से मेले की शान रहे शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के दर्शन इस महाकुंभ में नहीं होंगे। 11 सितंबर 2022 को वह गोलोकवासी हो चुके हैं।

Many saints including Swaroopanand, Narendra Giri will not be able to have darshan in Mahakumbh

महाकुंभ-2025 को भव्य बनाने की तैयारी चल रही है। मेले में दुनियाभर से करीब 41 करोड़ श्रद्धालुओं के आने की संभावना जताई जा रही है, जिसकी व्यवस्था में पूरा अमला लगा हुआ है। मेले की शान संत-महात्मा हैं, लेकिन इस महाकुंभ में छह संतों के दर्शन नहीं हो पाएंगे। कारण कि कुंभ-2019 के बाद वह गोलोकवासी हो चुके हैं। सदियों से गंगा-यमुना और अदृश्य सरस्वती के तट पर लगने वाले मेले में श्रद्धालु संगम स्नान के साथ संतों का आशीर्वाद लेने आते हैं। दशकों से मेले की शान रहे शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के दर्शन इस महाकुंभ में नहीं होंगे। 11 सितंबर 2022 को वह गोलोकवासी हो चुके हैं। इससे पहले महाकुंभ में उनका भव्य शिविर लगता था। दुनियाभर से श्रद्धालु उनके आशीर्वाद लेने आते थे।

अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष रहे नरेंद्र गिरि भी नहीं दिखेंगे

कुंभ 2019 में छाप छोड़ने वाले अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि के भी दर्शन नहीं होंगे। उनका निधन 20 सिंतबर 2021 को हुआ था। वह दो कार्यकाल तक अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष रहे और संतों को संगठित किया था। इसके अलावा महाकुंभ में भव्य शिविर लगाने वाले जगदगुरु पंचानंद गिरि की भी कमी श्रद्धालुओं को खलेगी। वह पंचदशनाम जूना अखाड़े के महामंडलेश्वर थे। उनका निधन फरवरी 2023 में हुआ। जूना अखाड़े के महामंडलेश्वर सोमनाथ गिरि उर्फ पायलट बाबा का भी अगस्त 2024 में निधन हो चुका है। महाकुंभ के दाैरान उनके शिविर में श्रद्धालुओं की भीड़ रहती थी।

Many saints including Swaroopanand, Narendra Giri will not be able to have darshan in Mahakumbh
पायलट बाबा की भी खलेगी कमी
संन्यासी बनने से पहले वह वायुसेना में विंग कमांडर थे। उन्होंने 1962, 1965 और 1971 के युद्ध में भाग लिया था। युद्ध की विभीषिका से आहत पायलट बाबा ने 1974 में संन्यास ले लिया था। साेने के गहनों के प्रेमी महामंडलेश्वर गोल्डेन बाबा भी इस बार मेले में नहीं दिखेंगे। वह हमेशा कई किलो सोने के गहने पहने रहने के कारण चर्चाओं में रहते थे। वह कुंभ 2019 में यहां पर आए थे। 30 जून 2020 को उनका निधन हो गया। क्रियायोग अनुसंधान संस्थान झूंसी की ज्ञानमाता राधा मां का निधन 2021 में हो गया था। विदेशी संतों के बीच उनकी गहरी पैठ थी। वह भक्तों को योग सिखाती थीं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Uttarakhand