आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष में गुप्त नवरात्र प्रतिपदा तिथि 6 जुलाई से शुरू होगी। गुप्त नवरात्र में नौ दिन मां दुर्गा की 10 महाविधाओं की पूजा होगी। पुराणों के अनुसार रोग-दोष और कष्टों के निवारण के लिए गुप्त नवरात्र से बढ़कर कोई साधना काल नहीं माना गया है। श्री, वर्चस्व, आयु, आरोग्य और धन प्राप्ति के साथ शत्रु संहार के लिए गुप्त नवरात्र में अनेक प्रकार के अनुष्ठान और व्रत कर माता दुर्गा को प्रसन्न किया जाता है। इस बार गुप्त नवरात्र पूरे नौ दिन रहेंगे और 15 जुलाई को आखिरी नवरात्र होगा। राधा-कृष्ण मंदिर के पुजारी उमेश चंद नौटियाल ने बताया कि गुप्त नवरात्र में बाकी नवरात्रों की तरह ही पूजा करने का महत्व है। नौ दिन उपवास का संकल्प लेते हुए प्रतिप्रदा यानि पहले दिन घटस्थापना करनी चाहिए। घटस्थापना के बाद हर रोज सुबह और शाम के समय मां दुर्गा की पूजा तथा अष्टमी या नवमी के दिन कन्या पूजन के साथ नवरात्र व्रत का उद्यापन करना चाहिए। गुप्त नवरात्र में साधक गुप्त साधनाएं करने के लिए श्मशान और गुप्त स्थान पर जाते हैं। आध्यात्मिक और मानसिक शक्तियों में वृद्धि करने के लिए अनेक प्रकार के उपवास, संयम, नियम, भजन, पूजन योग साधना कर सकते हैं। सभी नवरात्रों में माता के सभी 51 पीठों पर भक्त विशेष रूप से माता के दर्शनों के लिए जा सकते हैं। कहा कि माघ एवं आषाढ़ मास की नवरात्र को गुप्त नवरात्र इसलिए कहते हैं, क्योंकि इसमें गुप्त रूप से शिव और शक्ति की उपासना की जाती है। चैत्र और शारदीय नवरात्र में सार्वजनिक रूप में माता की भक्ति करने का विधान है।