65 गांव के आराध्यदेव रुद्रेश्वर महाराज के नाम से असाढ़ माह में देवराणा में डांडा की जातर होती है। मेले की श्रृंखला में देव पालकी एक माह तक गांव भ्रमण कर रात्रि विश्राम करेगी।
नौगांव ब्लाक के देवराणा में सदियों से चली आ रही रंवाईघाटी की ऐतिहासिक डांडा की जातर(मेला) मनाई गई। जिसमें करीब 100 गांव के हजारों श्रद्धालु शामिल हुए। परंपरा के अनुसार, शाम चार बजे देव माली बालक राम नौटियाल ने मंदिर के ऊपर बने लकड़ी के शेर की पीठ पर चढ़ कर मूर्ती को दूध का स्नान करवाने के बाद श्रद्धालुओं को दर्शन करवाए। जिसके बाद उन्होंने सुख समृद्धि का आशीर्वाद दिया। 65 गांव के आराध्यदेव रुद्रेश्वर महाराज के नाम से असाढ़ माह में देवराणा में डांडा की जातर होती है। यह स्थान समुद्रतल से करीब आठ हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित है। जो चारों तरफ से देवदार के घने जंगलों से घिरा हुआ है।देवराणा में देवता का प्राचीन मंदिर है। यहां हर साल मेला लगता है। यह रंवाईघाटी का सबसे बड़ा मेला है। श्रद्धालु यहां पहुंच कर देव पालकी के साथ नृत्य कर मेले का आनंद लेते हैं। रविवार से शुरू हुई मेलों की श्रृंखला में देव पालकी एक माह तक गांव भ्रमण कर रात्रि विश्राम करेगी। इस दौरान ग्रामीणों को एक साथ रुद्रेश्वर देवता, महासू महाराज, बाबा बौखनाग, धर्म राज युधिस्ठिर, माता नाटेश्वरी पांच देव मूर्तियों के दर्शन होंगे। पांचों मूर्तियों को पालकी के अंदर चांदी की घिल्टी में एक साथ सजा कर दर्शनार्थ रखा जाता है।