वसुंधरा राजे ने कहा कि प्रभु श्रीराम का चरित्र भारतीय संस्कृति का सार है और भारतीय संस्कृति ही प्रभु श्रीराम का चरित्र है।
राजस्थान की पूर्व सीएम वसुंधरा राजे सिंधिया परमार्थ निकेतन पहुंचीं और 34 दिवसीय श्रीराम कथा में हिस्सा लिया, जिसमें कथाव्यास संत मुरलीधर ने श्रीहनुमान और सुरसा का प्रसंग सुनाया। बृहस्पतिवार को रामकथा में पहुंचीं वसुंधरा राजे सिंधिया ने कहा, प्रभु श्रीराम का चरित्र भारतीय संस्कृति का सार है और भारतीय संस्कृति ही प्रभु श्रीराम का चरित्र है। श्रीरामचरित मानस त्याग की संस्कृति पर आधारित है। भाई-भाई ने संपत्ति का त्याग किया तो रामायण बन गई। वहीं, भाई-भाई में संपत्ति की चाह हुई तो महाभारत हो गई, इसलिए हमें अपने दायित्वों को पूरा करते हुए आगे बढ़ना होगा। कहा, गंगा के तटों को प्रदूषित करना भारतीय संस्कृति नहीं है। इन 30 दिनों की कथा के माध्यम से श्रोताओं को शांति की प्राप्त हुई होगी। सभी श्रोता कथा के संदेशों को अपने साथ घर लेकर जाएं और उनके अनुसार जीवन जीने का प्रयास करें। स्वामी चिदानंद सरस्वती व कथाव्यास संत मुरलीधर ने उन्हें रुद्राक्ष का पौधा भेंट किया।