शनि जयंती पर शनिदेव की पूजा का विशेष महत्व होता है। शनि अमावस्या के दिन पीपल पूजन करने से सौभाग्य बढ़ता है एवं पितृ प्रसन्न होकर आशीर्वाद प्रदान करते हैं।

आज ज्येष्ठ माह की अमावस्या तिथि है। इस तिथि पर न्याय के देवता और कर्मफलदाता शनिदेव की जयंती मनाई जाती है। शनि को वैदिक ज्योतिष में विशेष स्थान प्राप्त है और पौराणिक मान्यताओं के अनुसार ज्येष्ठ अमावस्या पर शनिदेव का जन्म हुआ था। शनि जयंती पर विधि-विधान के साथ शनिदेव की पूजा-आराधना करने पर शनिदोष, शनि साढ़ेसाती और महादशा से छुटकारा मिलता है। शनि जयंती के मौके पर आइए जानते हैं कि शुभ मुहूर्त और पूजा विधि।

शनि जयंती तिथि, शुभ मुहूर्त और शुभ योग
हिंदू पंचांग के अनुसार ज्येष्ठ माह की अमावस्या तिथि की शुरुआत 5 जून को शाम 7 बजकर 53 मिनट पर होगी और 6 जून को शाम 6 बजकर 6 मिनट पर खत्म होगी। इस बार शनि जयंती पर कई तरह के शुभ योग बनेंगे। शनि जयंती पर शश राजयोग, गजकेसरी योग, मालव्य राजयोग , बुधादित्य राजयोग, लक्ष्मी नारायण जैसे प्रमुख राजयोग बनेगा।

शनि जयंती पूजा विधि
शनि जयंती पर शनिदेव की पूजा का विशेष महत्व होता है। शनि अमावस्या के दिन पीपल पूजन करने से सौभाग्य बढ़ता है एवं पितृ प्रसन्न होकर आशीर्वाद प्रदान करते हैं।पीपल के वृक्ष में इस दिन अन्य देवताओं एवं पितरों वास माना गया है इसलिए शनैश्चरी  अमावस्या पर पीपल की पूजा का महत्व और भी बढ़ जाता है। इस दिन  स्न्नान करने के पश्चात् सूर्योदय से पूर्व पीपल के वृक्ष के नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाएं।इसके बाद शनिदेव से अपनी समस्याओं की मुक्ति के लिए प्रार्थना करें,कष्टों से मुक्ति मिलेगी।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Uttarakhand