कुरुक्षेत्र। भगवान गिनती से नहीं विनती से मिलते हैं। भगवान से विनती करना ही बड़ी तपस्या है। यह कहना है बागेश्वर बाबा धीरेंद्र शास्त्री का। वे मेला ग्राउंड में श्री हनुमंत कथा के अंतिम दिन मंगलवार को प्रवचन कर रहे थे। कथा में तीसरे दिन भी हजारों की संख्या में श्रद्धालु पहुंचे। बागेश्वर बाबा ने कहा कि अष्ट सिद्धियों पर चर्चा तो करते हैं, लेकिन विनती के अनुसार भक्ति नहीं की जाती। अनेकों लोग 108 बार माला जपने का दावा तो करते हैं, लेकिन उसमें विनती होना भी उतना ही जरूरी है। हमारे बाला गिनती नहीं करवाते। वे जब भी देते हैं गिनती से नहीं दिल खोलकर देते हैं। उन्होंने कहा कि प्रेम का स्वरूप ऐसा है जिसे बोला नहीं जाता, कहा नहीं जाता। जिसमें प्रभु का सुख हो वहीं भक्त का सुख होना चाहिए। यही भक्त का प्रथम लक्षण है। उन्होंने ग्वाल से लेकर अन्य अनेकों उदाहरण देते हुए भगवान की भक्ति करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि जिसे प्रभु से प्रेम होता है उसे गिनती नहीं करनी है। उसे तो भगवान के चरणों में लगातार विनती करनी है। बागेश्वर बाबा ने भजनों के जरिए भी प्रभु भक्ति का संदेश दिया तो वहीं श्रद्धालु भी भजनों पर झूमते रहे। बागेश्वर बाबा ने कहा कि हनुमान जी का पहला कार्य ही भगवान से भक्त को और भक्त से भगवान को मिलाना है। वही हनुमान जी भक्त की खबर भगवान को देते हैं और भगवान की खबर भक्त को देते हैं। कथा के दौरान अनेकों बड़े संत और श्रद्धालु मौजूद रहे।

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