काली मार्ग और त्रिवेणी मार्ग की दोनों पटरियों पर शनिवार को संस्थाओं और साधु-संतों के आवंटन के बाद बची भूमि तीर्थपुरोहितों को वितरित की गई। कटौती करने और कम भूमि आवंटित किए जाने पर जमकर हंगामा भी हुआ। इस दौरान मेला प्रशासन ने पुलिस-पीएसी की मदद से धक्कामुक्की के बीच बिना समतल किए और गड्ढे वाली भूमि का भी आवंटन कराया।तीर्थपुरोहितों के गुस्से के देखते हुए काली और त्रिवेणी मार्गों पर भूमि आवंटन के दौरान पुलिस-पीएसी लगानी पड़ी। इस दौरान जहां दो बीघा भूमि आवंटित की जानी थी,वहां 10 बिस्वा ही की गई। इस पर तीर्थपुरोहितों ने नाराजगी भी जताई। भूमि कटौती को लेकर आवंटन के दौरान तीर्थ पुरोहितों ने जमकर हंगामा मचाया, लेकिन पुलिस की सख्ती की वजह से किसी का बस नहीं चल सका। विरोध जताने वालों को लाठियां पटककर खदेड़ दिया गया।

दिव्य और भव्य माघ मेला के लिए तीर्थपुरोहितों ने दिया ज्ञापन

माघ मेले को दिव्य और भव्य बनाने के लिए शनिवार को तीर्थपुरोहितों ने प्रभारी मेलाधिकारी को ज्ञापन सौंपा। इसमें परेड में तीर्थ पुरोहितों को भूमि आवंटित करने और संपूर्ण मेले के लिंक और गाटा मार्ग को मेले की मुख्य मार्गों से जोड़ने की बात प्रमुखता से उठाई गई है।

मेलाधिकारी को दिए ज्ञापन में कहा गया है कि परेड ग्राउंड पर प्रत्येक वर्ष बसने वाले तीर्थ पुरोहित समाज के लोगों को भूमि कहा आवंटित की जाएगी। इसलिए कि परेड ग्राउंड पर वाहन स्टैंड बनाया दिया गया है। ऐसे में उन सैकड़ों तीर्थ पुरोहितो के लिए कोई वैकल्पिक व्यवस्था की जानी चाहिए। कोविड-19 को ध्यान में रखते हुए प्रत्येक तीर्थ पुरोहित के शिविरों के बाहर गंदगी फैलने से रोकने और स्वस्च्छता का वातावरण बनाने की भी बात ज्ञापन में शामिल है।

मेला प्रशासन ने नाराज संत को मनाया, अब जल समाधि नहीं लेंगे ब्रजभूषण दास

माघ मेला में भूमि आवंटन में गड़बड़ी से नाराज काशी सुमेरु पीठाधीश्वर के निजी सचिव स्वामी ब्रजभूषण दास ने शनिवार को  जल समाधि लेने की अपनी चेतावनी वापस ले ली। वह रविवार से बेमियादी अनशन पर बैठने वाले थे, लेकिन इससे पहले मेला प्रशासन ने नाले पर आवंटित भूमि का समतलीकरण कराना शुरू करा दिया और उनके तेवर नरम पड़ गए। शनिवार को मेला प्रबंधक सेक्टर पांच स्थित सुमेरु पीठाधीश्वर के प्रस्तावित शिविर स्थल पर पहुंचे और उन्होंने स्वामी ब्रजभूषण दास को समझाया। साथ ही भूमि समतलीकरण का काम भी आरंभ करा दिया गया। स्वामी ब्रजभूषण दास ने लेखपाल प्रेम सिंह पर जानबूझ कर नाले पर भूमि आवंटित करने और संतों-भक्तों को परेशान करने का आरोप लगाया। उन्होंने चेतावनी दी थी कि अगर धैर्य टूटा तो वह इसी मेले में जल समाधि ले लेंगे।

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