हरिद्वार में रानीपुर मोड़ स्थित श्री चंद्राचार्य चौक पर भगवान श्रीचंद्र की मूर्ति हटाए जाने से संत समाज भड़क गया। संतों का कहना था कि हरिद्वार रुड़की विकास प्राधिकरण ने चौराहे के सौंदर्यीकरण के लिए संतों को विश्वास में लिए बगैर मूर्ति को हटवा दिया है। इससे नाराज संत मूर्ति स्थल पर धरने पर बैठ गए। बाद में मेला प्रशासन ने चौराहे का सौंदर्यीकरण एक माह में कर मूर्ति की उसी जगह प्राण प्रतिष्ठा कराने का आश्वासन दिया।

कुंभ के मद्देनजर चौराहे का सौंदर्यीकरण करने के लिए एचआरडीए के अधिकारियों ने रात में चंद्राचार्य चौक से भगवान श्रीचंद्र की मूर्ति को हटा दी। भगवान श्रीचंद्र की मूर्ति हटाए जाने की शुक्रवार सुबह संतों को जानकारी हुई।संतों को लगा कि किसी शरारती तत्व ने हरकत की है, लेकिन दोपहर में पता चला कि मूर्ति को प्राधिकरण ने हटवाया है। इससे संत समाज भड़क गया। श्री पंचायती बड़ा उदासीन अखाड़ा के संतों ने चंद्राचार्य चौक पहुंचकर नाराजगी जताई और धरने पर बैठ गए।

आक्रोशित संतों ने कहा कि मूर्ति हटाए जाने से पहले उनसे वार्ता नहीं की गई। महामंडलेश्वर स्वामी हरिचेतनानंद ने कहा कि प्रतिमा की 25 सालों से आराधना करते हैं। रात्रि के अंधेरे में मूर्ति को हटवाया गया है, जो निंदनीय है।

संत बोले- भगवान श्रीचंद्र का अपमान हुआ

बड़ा अखाड़ा के अध्यक्ष श्रीमहंत महेश्वर दास ने कहा कि अधिकारियों के कृत्य से भगवान श्रीचंद्र का अपमान हुआ है। संतों की नाराजगी देख एसपी सिटी कमलेश उपाध्याय प्राधिकरण के सचिव एवं अपर कुंभ मेलाधिकारी हरवीर सिंह मौके पर पहुंचे।

उन्होंने संतों को मनाने का प्रयास किया, लेकिन संत नहीं माने। शाम को आचार्य बालकृष्ण एवं अन्य कई संत एवं भक्त भी चौराहे पर पहुंच गए। देर शाम मेला अधिकारी दीपक रावत का लिखित आश्वासन पत्र हरबीर सिंह ने संतों को सौंपा। इसमें चौराहे का सौंदर्यीकरण करने के बाद मूर्ति को पुरानी जगह पर विधि विधान से स्थापित करने की बात लिखी थी।

इसके बाद संतों ने धरना समाप्त किया। धरने पर श्रीमहंत महेश्वरदास, कोठारी महंत दामोदार दास, महंत कमलदास, महंत दुर्गादास मौजूद रहे। विहिप का जिलाध्यक्ष नितिन गौतम भी कार्यकर्ताओं के साथ पहुंचे और प्राधिकरण और कुंभ प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी की।

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