विश्वनाथ मंदिर की कालिका गली में आचार्य महेश मिश्र की ओर से 26 साल से मां की प्रतिमा स्थापित कर पूजा होती है। वहीं, आनंदमयी आश्रम में मां की प्रतिमा स्थापित कर पांच दिनों तक विशेष पूजा होती है। बंगीय पद्धति से होने वाली इस पूजा में देशभर से अनुयायी शामिल होते हैं।

चैत्र नवरात्र पर काशी में 78 साल से मां भगवती मूर्ति स्वरूप में पूजी जा रही हैं। शिवाला स्थित आनंदमयी आश्रम में मां की प्रतिमा स्थापित कर पांच दिनों तक विशेष पूजा होती है। बंगीय पद्धति से होने वाली इस पूजा में देशभर से अनुयायी शामिल होते हैं। शहर के और स्थानों पर भी प्रतिमाएं रखी जाती हैं। शारदीय नवरात्र में ही दुर्गा पूजा की धूम रहती है। गली-मुहल्लों में पूजा पंडालों में दुर्गा प्रतिमाएं स्थापित कर पूजा होती है। देश की आजादी के बाद से आनंदमयी आश्रम में शारदीय नवरात्र की तरह चैत्र नवरात्र में भी धूमधाम से पूजा होती है। आश्रम के सचिव रतन माथुर ने बताया कि 1944 में इस आश्रम की नींव चैत्र नवरात्र में ही पड़ी थी। आजादी के बाद से माता आनंदमयी ने यहां चैत्र नवरात्र में पूजा शुरू कराई। उन्होंने बताया कि आश्रम के चंडी मंडप में इस बार भी मां दुर्गा के अलावा मां सरस्वती, लक्ष्मी, गणेश व कार्तिकेय की प्रतिमा स्थापित की जाएगी। भजन कीर्तन और आश्रम में पढ़ रही बच्चियां सांस्कृतिक कार्यक्रम पेश करेंगी। पूजा में दिल्ली, हरिद्वार, कोलकाता आदि शहरों से अनुयायी शामिल होंगे।  इसके अलावा विश्वनाथ मंदिर की कालिका गली में आचार्य महेश मिश्र की ओर से 26 साल से मां की प्रतिमा स्थापित कर पूजा होती है। मां शारदा आश्रम चेतमणि, गीता सोसाइटी रमापुरा आदि इलाकों में भी छोटी-बड़ी देवी प्रतिमाएं स्थापित की जाती हैं।

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