भगवान भोलेनाथ की आराधना का महापर्व महाशिवरात्रि आठ मार्च को मनाई जाएगी। इसको लेकर शिव मंदिराें में तैयारियां तेज हो गई हैं। महाशिवरात्रि पर लाखों भक्त रामनगरी में दर्शन-पूजन व अभिषेक को उमड़ते हैं। इस बार महाशिवरात्रि पर 72 वर्ष बाद अद्भुत संयोग बन रहा है। शिवयोग, सिद्ध योग और चतुर्ग्रही योग में महाशिवरात्रि मनाई जाएगी। इस दिन शुक्र प्रदोष व्रत भी पड़ रहा है, जो मां लक्ष्मी को समर्पित है। इस संयोग मे महादेव के पूजन-अर्चन से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होंगी।फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को महाशिवरात्रि मनाई जाती है। शास्त्र के अनुसार जिस दिन अर्द्धरात्रि में चतुर्दशी हो, उसी दिन शिवरात्रि का व्रत करना चाहिए। जो व्यक्ति शिवरात्रि को निर्जला व्रत रहकर जागरण और रात्रि के चारों प्रहरों में चार बार पूजा करता है वह शिव की कृपा को प्राप्त करता है। शिवरात्रि महात्म्य में लिखा है कि शिवरात्रि से बढ़कर कोई दूसरा व्रत नहीं है।  इस बार त्रयोदशी तिथि पर बन रहा शिवयोग श्रद्धालुओं के संपूर्ण मनोरथ पूर्ण करेगा। फाल्गुन कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि सात मार्च को 1:21 बजे लगेगी और आठ मार्च को रात्रि 9:59 मिनट तक रहेगी। श्रवण नक्षत्र सात मार्च को दिन में 1:03 बजे से आठ मार्च को दिन में 10:41 बजे तक रहेगा। प्रदोष व्रत से जीवन में सुख, सम़ृद्धि, खुशहाली मिलती है और जीवन के समस्त दोषाें का शमन भी होता है।

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