संत सम्मेलन में रविवार को सीएए को जरूरी बताने के साथ ही, गो हत्या और गंगा निर्मलीकरण के लिए कठोर कानून बनाने के लिए संतों ने हुंकार भरी। इस दौरान धर्म-संस्कृति की रक्षा के लिए हिंदुओं से एकजुट होने का आह्वान किया गया। संतों ने एक स्वर से कहा कि अब समय आ गया है, जब भारत को विश्व गुरु का दर्जा दिलाने के लिए सांस्कृतिक विविधता की गौरवगाथा से लोगों को परिचित कराया जाए।              सेक्टर पांच स्थित लक्ष्मीनारायण मंदिर अलोपीबाग के शिविर में हुए संत सम्मेलन राष्ट्र के प्रति संतों के योगदान पर रोशनी डाली गई। अध्यक्षता कर रहे राम मंदिर तीर्थक्षेत्र ट्रस्ट के सदस्य जगदगुरु स्वामी वासुदेवानंद सरस्वती ने कहा कि देश में हर किसी के लिए एक कानून होना चाहिए। उन्होंने सीएए को जरूरी बताया। कहा कि उत्तराखंड की सरकार ने समान नागरिकता कानून को पारित कर ऐतिहासिक कदम उठाया है।

भारत को विश्व गुरु बनाने के लिए संत आगे आएं

जगदगुरु घनश्यामार्च ने जहां गो हत्या पर रोक लगाने और इसके लिए कठोर कानून बनाने का मुद्दा उठाया, वहीं उन्होंने भारत को विश्व गुरु बनाने के लिए संतों से आगे आने का आह्वान किया। टीकरमाफी मठ के स्वामी हरिचैतन्य ब्रह्मचारी ने गंगा निर्मलीकरण का मुद्दा उठाया। इस दौरान उन्होंने गंगा में गिरने वाले नालों को बंद न किए जाने पर भी चिंता जताई। उन्होंने कहा कि नालों के गंदे पानी को आसपास के इलाके की असिंचित भूमि पर डायवर्ट किया जाना चाहिए। काशी सुमेरु पीठाधीश्वर स्वामी नरेंद्रानंद सरस्वती ने हिंदू समाज से एकजुट होने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि अब समय बिखरने या अलग-अलग राग अलापने का नहीं रह गया है। इस मौके पर स्वामी रामेश्वराचार्य, श्रीधराचार्य, स्वामी अच्युत प्रपन्नाचार्य, स्वामी राम प्रपन्नाचार्य, स्वामी शंकरआश्रम, स्वामी परांकुशाचार्य समेत कई संतों ने विचार व्यक्त किए।

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