नारायण निवास आश्रम ट्रस्ट भूपतवाला के महासचिव दीपक कुमार ने कोर्ट में प्रार्थना पत्र दिया था। जिसमें बताया था कि आश्रम के प्रमुख स्वामी महंत रामेश्वरानंद थे। आश्रम में रहने वाले स्वामी अवधेशानंद सरस्वती ने संत रामेश्वरानंद की बीमारी का लाभ उठाते हुए एक रजिस्टर्ड वसीयत वर्ष 2019 में अपने हक में करवा ली।

नारायण निवास आश्रम के संत के ब्रह्मलीन होने के बाद फर्जी ट्रस्ट बनाने का मामला सामने आया है। नगर कोतवाली पुलिस ने भारत माता मंदिर के महंत सहित 20 आरोपियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। जिसमें भाजपा और एबीवीपी के नेता भी शामिल हैं। पुलिस के अनुसार, नारायण निवास आश्रम ट्रस्ट भूपतवाला के महासचिव दीपक कुमार ने कोर्ट में प्रार्थना पत्र दिया था। जिसमें बताया था कि आश्रम के प्रमुख स्वामी महंत रामेश्वरानंद थे। आश्रम में रहने वाले स्वामी अवधेशानंद सरस्वती ने संत रामेश्वरानंद की बीमारी का लाभ उठाते हुए एक रजिस्टर्ड वसीयत वर्ष 2019 में अपने हक में करवा ली। इसके बाद जब स्वामी रामेश्वरानंद को अवधेशानंद की नीयत पर शक हुआ तो उन्होंने दो माह बाद वसीयत को निरस्त करा दिया। संपत्ति खुर्द बुर्द न हो, इसके लिए स्वामी रामेश्वरानंद ने नारायण निवास आश्रम धर्मार्थ ट्रस्ट बनाते हुए अगस्त 2019 में सब रजिस्ट्रार के यहां इसे रजिस्टर्ड कराया था। वह ट्रस्ट के अध्यक्ष खुद थे और अन्य पदाधिकारी भी बनाए थे। उनके ब्रह्मलीन होने के बाद स्वामी अवधेशानंद ने खुद को शिष्य बताकर दिसंबर 2019 में एक नया ट्रस्ट बना दिया।