प्रयागराज में संगम की रेती पर 57 दिन तक चलने वाला माघ मेला मकर संक्रांति के साथ गुरुवार से शुरू हो गया। कोरोना और बर्ड फ्लू जैसी महामारी के काल में लगने वाला वर्ष 2021 का माघ मेला पिछले हर मेले से जुदा दिखाई दिया। जहां पिछले मेलों में हर ओर भजन-कीर्तन सुनाई देता था वो इस बार सुनने को नहीं मिला।
मेला क्षेत्र में प्रवेश करते ही लाउडस्पीकर पर वहीं चिरपरिचत आवाज सुनाई दी जो शहर के हर चौराहे पर महीनों से सुनने को मिल रही है। संगम नोज हो या फिर सेक्टर तीन, चार और पांच जहां कल्पवासी और साधु संत बसते हैं। सभी जगह दो गज दूरी और मास्क है जरूरी… गूंजता रहा। शिविरों में इस बार प्रशासन ने मंच और पंडाल नहीं बनने दिया। ऐसे में जो साधु संत मौजूद रहे वो केवल कुछ श्रद्धालुओं को आशीर्वाद देते दिखाई दिए।
कहीं भी कोई पूजापाठ या सामूहिक भजन नहीं दिखाई दिया। संगम नोज पर इस बार तीर्थ पुरोहितों के तख्त नहीं थे। जमीन पर चंदन और पूजन सामग्री लिए कुछ पुरोहित बैठे दिखे तो पुलिस के जवान पीछे डंडा लेकर आ जाते और पुरोहित अपना सामान उठाकर दूसरी ओर चले जाते। स्नान से किसी को नहीं रोका गया लेकिन घाट पर मस्ती करने का एक भी मौका नहीं मिला। सुबह 11 बजे खुद पुलिस के आलाधिकारी यह कहते दिखे कि स्नान करें और बाहर जाएं। घाट पर कोई भी बैठा है, चाहे वो पुरुष हो या महिला सिविल डिफेंस के कर्मी बेहद शालीनता से उन्हें स्नान के बाद वापस जाने के लिए बोल रहे थे।
सेक्टर तीन से पांच के बीच जहां पर मुख्य रूप से साधु संत और कल्पवासी बसते हैं वहां पर आधे से अधिक प्लॉट गुरुवार को खाली दिखे। महावीर मार्ग पर श्रीराम जन्म भूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के अध्यक्ष महंत नृत्य गोपाल दास का शिविर हो या फिर खाकचौक और दंडी आश्रम सभी जगह पंडाल अब तक आधे अधूरे लगे थे। दंडी संन्यासी स्वामी ब्रह्माश्रम का कहना है कि पूजा पंडाल न होने से परेशानी हो रही है। लोग मेला क्षेत्र में कथा और प्रवचन ही सुनने आते हैं। तीर्थ पुरोहित राजेंद्र पालीवाल का कहना है कि शिविर न लगने से परेशानी हो रही है। मेला क्षेत्र में तमाम कल्पवासी पहुंच चुके हैं। उन्हें ठहराना मुश्किल हो रहा है।
मेले में इस बार नहीं दिखा
– कथा प्रवचन के लिए शिविरों में पंडाल
– बांध के नीचे का मीना बाजार
– संगम किनारे दुकानों की लंबी कतार
– नई बाड़ा और दान की बछिया भी इक्का दुक्का दिखीं
– नहीं गूंजे घंटे और नहीं सुनाई दिया सामूहिक मंत्रोच्चार