मकर संक्रांति
के अवसर पर आज ठंड के बावजूद लोगों ने भारी तादाद में हर की पैड़ी पर गंगा में डुबकी लगाई। आज सुबह तड़के ही लोग हर की पैड़ी भारी तादाद में पहुंचने शुरू हो गए थे। श्रद्धालुओं ने हर की पैड़ी पर गंगा स्नान करने के साथ-साथ अपने देवी-देवताओं को भी स्नान कराया और ढोल धमाल साथ हर की पैड़ी पर पहुंचे।
गंगा स्नान के बाद तिल उड़द की दाल की खिचड़ी दान की और मांगलिक कार्य संपन्न कराए। आज सूर्य दक्षिणायन से उत्तरायण में प्रवेश कर गए हैं और इसी के साथ आज से शुभ कार्य शुरू हो गए हैं। हर की पैड़ी पर मेला प्रशासन ने कुंभ की तर्ज पर व्यवस्था की थी और हर की पैड़ी पर चारों और बड़ी तादाद में पुलिस तैनात की गई थी। हर की पैड़ी पर गंगा स्नान करने के लिए भारत के विभिन्न प्रांतों राजस्थान, मध्य प्रदेश, दिल्ली, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा के अलावा नेपाल से भी बड़ी तादाद में लोग गंगा में स्नान करने आए। ऐसी धार्मिक मान्यता है कि मकर संक्रांति पर गंगा में स्नान करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है
हर की पैड़ी पर गंगा स्नान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है हर की पैड़ी पर कुंभ मेले की तर्ज पर सुरक्षा व्यवस्था कड़ी की गई थी चप्पे-चप्पे पर पुलिस तैनात थी मकर सक्रांति को उत्तरायणी पर्व के रूप में उत्तराखंड में बनाते हैं मकर संक्रांति भारत का प्रमुख पर्व है। मकर संक्रांति (संक्रान्ति) पूरे भारत और नेपाल में किसी न किसी रूप में मनाया जाता है। पौष मास में जब सूर्य मकर राशि पर आता है तभी इस पर्व को मनाया जाता है। यह त्योहार जनवरी महीने के 14वें दिन पड़ता है। इस दिन सूर्य धनु राशि को छोड़ मकर राशि में प्रवेश करते हैं।
पौष मास में सूर्य के मकर राशि में आने पर तमिलनाडु में इसे पोंगल नामक उत्सव के रूप में मनाते हैं जबकि कर्नाटक, केरल तथा आंध्र प्रदेश में इसे केवल संक्रांति ही कहते हैं। मकर संक्रांति पर्व को कहीं-कहीं उत्तरायणी भी कहते हैं, उत्तराखंड के कुमाऊं क्षेत्र में इस पर्व उत्तरायणी के रूप में मनाते हैं।
उत्तरायनी यानी घुघुतिया त्योहार
उत्तराखंड राज्य के कुमाऊं में मकर संक्रांति पर ‘घुघुतिया’ के नाम एक त्योहार मनाया जाता है। इस त्योहार की अपनी अलग ही पहचान है। त्योहार का मुख्य आकर्षण कौवा है। बच्चे इस दिन बनाए गए घुघुते कौवे को खिलाकर कहते हैं- ‘काले कौवा काले घुघुति माला खा ले’।