मकर संक्रांति स्नान के साथ प्रयागराज में माघ मेला शुरू हो गया है। आज 37 साल बाद श्रद्धालु पंचग्रही योग में संगम में स्नान कर रहे हैं। दान-पुण्य और स्नान के इस पर्व में 37 साल बाद यह योग बना है। घाट किनारे स्नान कर पूजा-अर्चना के बाद श्रद्धालु अंजलि से ही सूर्य को अर्घ्य दे रहे हैं। इसके बाद गंगापुत्र घाटियों के यहां तिलक-चंदन लगवा कर यथाशक्ति दान दक्षिणा दे रहे हैं। कई श्रद्धालु खिचड़ी के साथ ही पूंछ पकड़कर गोदान भी कर रहे हैं।
सुबह कोहरे के कारण भीड़ कम रही, लेकिन दिन चढ़ने के साथ मेले में भीड़ बढ़ रही है। संगम पर आम दिनों से अधिक लेकिन संक्रांति के मुकाबले भीड़ कम है। संगम की ओर जाने वाले काली सड़क पर वाहन रोके जा रहे हैं। मडुवाडीह मेला विशेष ट्रेन पर प्रयागराज जंक्शन से सिर्फ 11 श्रद्धालु ही गए। भीड़ कम होने के कारण शास्त्री ब्रिज से बसों का संचालन जारी जबकि पहले संचालन रोक दिया जाता था।
इस बार मेले में हर श्रद्धालु के लिए कोरोना टेस्ट की रिपोर्ट लाना जरूरी किया गया है। घाटों पर सोशल डिस्टेंसिंग के साथ स्नान की व्यवस्था की गई है। इस बार ग्रहों और नक्षत्रों का विशेष संयोग मकर संक्रांति के पर्व को अत्यंत फलदायी बना रहा है। मेले में इस बार छह प्रमुख स्नान पर्व होंगे।
ये हैं माघ मेले में स्नान के विशेष नियम
मान्यता है कि माघ में मलमास पड़ जाए तो मासोपवास चंद्रायण आदि व्रत मलमास में ही समाप्त करना चाहिए। स्नान-दान आदि द्विमास के पूरा होने तक चलता रहता है। कुंभ के स्नान के समय भी ऐसे ही नियम होते हैं। पौष शुक्ल एकादशी से, पूर्णमासी से या अमावस्या से माघ स्नान शुरू होता है। मान्यता है कि प्रयाग में माघ मास में तीन बार स्नान करने से जो फल मिलता है, वो पृथ्वी पर 10 हजार अश्वमेघ यज्ञ करने से भी प्राप्त नहीं होता है।