केंद्र सरकार के नेशनल हाइड्रोलॉजी प्रोजेक्ट (एनएचपी) के तहत गंगा बेसिन पर अर्ली वार्निंग सिस्टम तैयार करने के लिए प्रदेशों में नदियों पर आधुनिक उपकरण लगाए जा रहे हैं। उत्तराखंड की नदियों में उपकरण लगाने का काम आईआरआई, रुड़की को सौंपा गया है। ये उपकरण राज्य की मुख्य नदियों से डिस्चार्ज होने वाले पानी की मात्रा, जलस्तर और बारिश के आंकड़ों को रियल टाइम में जारी करेंगे।संस्थान के एसई एसके साहा ने बताया कि ये उपकरण राज्य की सभी प्रमुख नदियों पर लगाए जाएंगे। इन आंकड़ों पर माडलिंग के जरिए केंद्रीय जल आयोग, नई दिल्ली व अन्य विभागों की ओर से अर्ली वार्निंग सिस्टम तैयार किया जाएगा, जो किसी रियल टाइम में फ्लड फोरकास्टिंग करेगा। साथ ही रियल टाइम डाटा एक्यूजीसन सिस्टम (आरटीडीएएस) हाइड्रो मैट नेटवर्क के जरिए यह भी पता लगाया जा सकेगा कि बाढ़ का पानी कहां तक फैलेगा।
पांच वेदर स्टेशन लगेंगे
प्रोजेक्ट के तहत राज्य की लगभग सभी मुख्य नदियों पर पांच ऑटोमेटिक वेदर स्टेशन (एडब्लूएस), 59 ऑटोमेटिक वाटर लेवल रिकॉर्डर (एडब्लूएलआर), 44 ऑटोमेटिक रेन गेज (एआरजी), 11 मैनुअल रेन गेज (एमआरजी) और पांच स्नो गेज लगाए जाएंगे। सभी उपकरणों को इंस्टाल कर डाटा जारी करने के काम का लक्ष्य मार्च 2022 तक पूरा किया जाना है।
69 करोड़ की लागत, रुड़की में बन रहा डाटा सेंटर
केंद्र सरकार के इस प्रोजेक्ट के तहत उत्तराखंड की नदियों में उपकरण स्थापित करने और रुड़की में डाटा सेंटर के भवन और अन्य उपकरण आदि के लिए 69 करोड़ रुपये खर्च होंगे। इस सेंटर में रियल टाइम में डाटा रिसीव होगा।