पौष शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा बृहस्पतिवार को सूर्य देव देवगुरु बृ़हस्पति की राशि धनु को छोड़कर अपने पुत्र शनि की राशि मकर में एक माह के लिए प्रवेश करेंगे। सूर्य का मकर राशि में दिन में 2.03 बजे प्रवेश होगा लेकिन, स्नान और दान के लिए संक्रांति का पुण्यकाल पूरे दिन रहेगा। वैसे भोर से ही संक्रांति का स्नान, दान पुण्य आरंभ हो जाएगा। मकर संक्रांति पर संगम में स्नान पुण्यदायी माना जाता है।

दान-पुण्य और स्नान का पर्व मकर संक्रांति इस बार पंचग्रही योग में मनाया जाएगा। ज्योतिर्विदों के अनुसार यह योग 37 वर्षों के बाद बन रहा है। पुण्य की डुबकी के बाद श्रद्धालु घाट किनारे ही पूजा-अर्चना, अंजलि से ही सूर्य को अर्घ्य के बाद गंगापुत्र घाटियों के यहां तिलक-चंदन लगवाएंगे और यथाशक्ति दान-दक्षिणा देंगे। खिचड़ी के साथ ही पूछ पकड़कर गोदान भी करेंगे। मकर राशि में प्रवेश करने के साथ ही सूर्य देव उत्तरायण हो जाएगा

मान्यता…
महाभारत के अनुसार-‘रवे मकर संक्रांतौ प्रयागे स्नानदानयो:/फलमानम न शक्नोति कर्तुम ब्रह्माअपि तत्वत:’ अर्थात मकर के सूर्य राशि में आने पर प्रयागराज में स्नानदान का जो फल प्राप्त होता है, स्वयं ब्रह्मा भी उस फल को बता पाने में असमर्थ हैं।

माहात्म्य…
महर्षि भारद्वाज के अनुसार, ‘अयने कोटि पुण्यं च लक्षं विष्णुपदी फलं’ अर्थात अयन संक्रांति (सूर्य के उत्तरायण की संक्रांति) पर किए गए दान करोड़ों गुना पुण्यदायी होता है। खिचड़ी, तिल, सोना, वस्त्र आदि का दान किए जाने का विधान है।
वहीं लक्ष्मी नारायण संग्रह के अनुसार, मकर में तीन मुट्ठी तिल खाने के बाद पवास रखने से अरिष्ट, कष्ट और रोगों से छुटकारा मिलता है। शरीर की सुंदरता और शक्ति में बढ़ोत्तरी  होती है।

 

 

 

 

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