अयोध्या में विवादित स्थल का ताला खोलने की अनुमति वर्ष 1986 में गोरखपुर के ही जज कृष्णमोहन पांडेय ने दी थी। जगन्नाथपुर मोहल्ले में रहने वाले जज कृष्णमोहन पांडेय साल 1995 में सेवानिवृत्त हुए। यह अजीब संयोग है कि कृष्ण मोहन पांडेय का पूरा परिवार हनुमानजी का साधक था। उन्हें ही फैसला सुनाने को मिला।

अयोध्या में श्रीराम मंदिर के निर्माण के लिए गोरक्षपीठ की पांच पीढ़ियों ने आंदोलन को धार दी और जनमानस में माहौल बनाया। अब पांचवीं पीढ़ी गोरक्षपीठाधीश्वर योगी आदित्यनाथ के समय में मंदिर की संकल्पना मूर्त रूप लेने जा रही है। आंदोलन में गोरक्षपीठ की पहल की शुरुआत सबसे पहले वर्ष 1885 में हुई, जब तत्कालीन गोरक्षपीठाधीश्वर महंत गोपाल नाथ ने फैजाबाद के बाबा रामचरण दास और आमीर अली के सहयोग से भूमि हस्तांतरण की भूमिका तैयार करा दी थी, लेकिन अंग्रेजों ने इसे कामयाब नहीं होने दिया। इसके बाद महंत ब्रह्मनाथ और फिर महंत दिगिवजयनाथ ने बागडोर संभाली। महंत अवेद्यनाथ ने श्रीराम मंदिर आंदोलन के दौरान संतों और धर्माचार्याें को साथ लेकर अलख जगाई और अब गोरक्षपीठाधीश्वर एवं प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की मौजूदगी में प्राण प्रतिष्ठा होगी। इसके साथ ही 139 वर्ष के सपने को साकार रूप मिल जाएगा।