85 साल के नृत्यगोपाल दास बमुश्किल कुछ कहते हैं। भक्तों को देखकर मुस्कुरा देते हैं, या आशीर्वाद देते वक्त जयसियाराम कहते हैं। अब इस उम्र में उन्हें कुछ याद तक नहीं। उनका मन और जहन किसी बच्चे सा हो चला है। बीती बिसरी बातों से उन्हें अचानक कुछ याद आता है और वह बड़बड़ाने लगते हैं…रामलला का मंदिर बनेगा, भव्य मंदिर बनेगा। यह राममंदिर आंदोलन के सबसे मजबूत संत की बेहद भावुक कहानी है।

Nritya Gopal Das smiles after hearing about the temple.

सुनि प्रभु बचन मगन सब भए। को हम कहाँ बिसरि तन गए॥

एकटक रहे जोरि कर आगे।
सकहिं न कछु कहि अति अनुरागे॥

यानी, प्रभु को सुनकर सब प्रेम मग्न हो गए। हम कौन हैं और कहां हैं? यह सुध भी भूल गए। हाथ जोड़, टकटकी लगाए देखते रह गए। प्रेम के कारण कुछ कह नहीं सके।

22 तारीख को वह भी रामलला के दर्शन को जाएंगे, शायद यह बात जानते तक नहीं। पर मंदिर की बात सुनकर हर बार मुस्कुरा जरूर देते हैं।

 

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