14 जनवरी गुरुवार को कुंभ वर्ष में मकर संक्रांति का पहला पर्व स्नान है। मकर संक्रांति को सूर्य देव मकर राशि में प्रवेश करेंगे। शास्त्रों की मान्यता के अनुसार मकर संक्रांति पर गंगा जी में स्नान का बड़ा महत्व है। इसलिए शुभ मुहूर्त में स्नान दान करना लाभकारी होता हैभारतीय प्राच्य विद्या सोसायटी अध्यक्ष डा. प्रतीक मिश्रपुरी के मुताबिक 14 जनवरी को मकर संक्रांति का पुण्यकाल सुबह 8.40 बजे से शुरू होकर दोपहर 2.38 बजे तक होगा। इसमें भी 12.30 बजे से दोपहर 1.49 बजे तक लाभ की चोगड़िया होगी। इसमें दान और स्नान सबसे शुभ होगा। हालांकि, सुबह 8:30 बजे से लेकर शाम 5:46 बजे के मध्य कभी भी स्नान-दान किया जा सकता है।पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक मकर संक्रांति के दिन ही गंगा जी भगीरथ के पीछे लगकर कपिल मुनि के आश्रम से होते हुए सागर में मिल गई थी। इसीलिए मकर संक्रांति को गंगा स्नान का विशेष महत्व होता है। मकर संक्रांति के दिन पुण्यकाल में स्नान के बाद सूर्य उपासना, जप, अनुष्ठान, दान-दक्षिणा देते हैं। दान में गुड़, काले तिल, खिचड़ी, कंबल और लकड़ी का विशेष दान होता है।स्नान के बाद साफ वस्त्र पहनें और नई जनेऊ धारण करें। पूरब की तरफ हाथ में जल, अक्षत लेकर दान का संकल्प लेकर फिर दान करें। दान स्वयं जाकर ब्राह्मण या जरुरतमंद को करें। स्वयं जाकर दिया हुआ दान ही उत्तम माना जाता है। कुपात्र को दान न दें और वह फलित नहीं होता है।वहीं, 14 जनवरी से खरमास समाप्त हो जाएगा। अक्सर खरमास के समापन के साथ ही मांगलिक कार्यों की शुरूआत हो जाती है, लेकिन इस बार मांगलिक कार्यों के लिए और इंतजार करना होगा। 14 जनवरी को मकर संक्रांति मनाई जाएगी, लेकिन इसके बाद भी विवाह कार्य नहीं किए जाएंगे। ज्योतिषाचार्य पंडित विष्णु प्रसाद भट्ट ने बताया कि गुरु और शुक्र के अस्त होने के चलते इस बार शादी के मुहूर्तों के लिए लंबा इंतजार करना होगा।