समिति ने ड्राफ्ट में हिमाचल की तर्ज पर उद्योगों को उनकी जरूरत के हिसाब भूमि उपलब्ध कराने की सिफारिश की है। साथ ही अन्य प्रायोजनों के लिए तय सीमा से अधिक भूमि लीज पर देने पर सहमति जताई है। समिति का मानना है कि स्थानीय लोगों का भूमि पर मालिकाना हक बना रहना चाहिए।

उत्तराखंड में उद्योगों की स्थापना के लिए बाहरी लोगों के बेतहाशा जमीन खरीदने पर रोक लग सकती है। भू कानून को लेकर गठित समिति ने अपने मसौदे में बाहरियों को 12.5 एकड़ से ज्यादा जमीन नहीं बेचने की पैरवी की है।
समिति ने ड्राफ्ट में हिमाचल की तर्ज पर उद्योगों को उनकी जरूरत के हिसाब भूमि उपलब्ध कराने की सिफारिश की है। साथ ही अन्य प्रायोजनों के लिए तय सीमा से अधिक भूमि लीज पर देने पर सहमति जताई है। समिति का मानना है कि स्थानीय लोगों का भूमि पर मालिकाना हक बना रहना चाहिए। राज्य अतिथि गृह बीजापुर में उत्तराखंड भू-कानून के अध्ययन व परीक्षण के लिए गठित समिति की शुक्रवार को करीब दो घंटे चली बैठक में भू-कानून में सुधार संबंधी तमाम बिंदुओं पर चर्चा की गई।
सूत्रों के अनुसार समिति के ज्यादातर सदस्य इस बात पर सहमत थे कि राज्य में निवेश को बढ़ावा देने, उद्योग व अन्य विकास कार्यों के लिए भूमि की आवश्यकता को ध्यान में रख कानून में संशोधन करने होंगे। साथ ही भूमि की खरीद-फरोख्त को रोकने के इंतजाम किए जाएं, पर अंतिम मुहर नहीं लग पाई। समिति अब 23 अगस्त को बैठक के बाद अपनी फाइनल रिपोर्ट तय करेगी और सरकार को सौंपेगी। अध्यक्ष सुभाष कुमार की अध्यक्षता में हुई बैठक में रिटायर आईएएस अरुण कुमार ढौंडियाल, बीएस गर्ब्याल, सदस्य अजेंद्र अजय, सचिव राजस्व दीपेंद्र कुमार चौधरी, प्रभारी उप राजस्व आयुक्त देवानंद मौजूद रहे।
ये हो सकते हैं बदलाव
– वर्ष 2018 में संशोधन से भूमि क्रय संबंधी अधिनियम में जोड़ी गई उपधारा 143-क और धारा 154 (2) समाप्त की जा सकती है।
– उद्योगों को जमीन आवंटित करने का अधिकार जिलाधिकारियों को देने के फैसले को भी निरस्त किया जा सकता है।
– उद्योगों को जमीन खरीद में जो छूट दी गई थी, उसको भी निरस्त किया जा सकता है।
– उद्योग के नाम पर ली गई जमीन का उपयोग बदलने पर जमीन सरकारी कब्जे में लिया जा सकता है।