तीर्थपुरोहितों की भूमि पर वेंडिंग जोन की योजना के बाद अब अवैध कब्जा को लेकर रार मच गई है। त्रिवेणी मार्ग के अलावा अपर-संगम मार्ग पर आधा दर्जन से अधिक संस्थाओं की ओर से तीर्थपुरोहितों की भूमि कब्जा कर ली गई है। बवाल की आशंका पर शुक्रवार को मेला प्रशासन ने अन्नक्षेत्र चलाने वाली तीन बड़ी संस्थाओं का काम रोकवा दिया। इससे हड़कंप की स्थिति बनी रही। प्रशासन ने संबंधित संस्थाओं के प्रतिनिधियों से अवैध कब्जा छोड़ने के लिए कहा है, ताकि वहां पुरोहितों को बसाकर विवाद की स्थिति से पार पाया जा सके।

माघ मेला में सबसे बड़े समूह में बसने वाले तीर्थपुरोहितों को शुक्रवार को मोरी मार्ग पर 85 बीघा भूमि आवंटित की गई। इस दौरान प्लाट कब्जा को लेकर कई जगह तीखी नोकझोंक और कहासुनी हुई। हालांकि मेला प्रशासन के अधिकारियों और प्रयागवाल सभा के पदाधिकारियों के हस्तक्षेप से मामला सुलझा लिया गया। इस बीच अपर-संगम मार्ग पर तीर्थपुरोहितों की भूमि का बड़ा हिस्सा कब्जा करने का आरोप लगाया गया। मेला प्रशासन से शिकायत की गई कि सेक्टर-दो में अपर-संगम मार्ग पर रामहर्ष चरित कुंज संस्था को 70 फीट जमीन आवंटित की गई है, जबकि 110 फीट भूमि पर कब्जा कर लिया गया है।इसी तरह लंगर चलाने वाली संस्था वाहे गुरु और ओम नम: शिवाय के पदाधिकारियों ने भी टिन घेरा बढ़ाकर तीर्थपुरोहितों की भूम कब्जा कर ली। जानकारी मिलने पर सबसे पहले सेक्टर सुपरवाइजर रमेश चंद्र ओझा ने मौके पर पहुंचकर तीनों संस्थाओं का काम रोकवा दिया। साथ ही हिदायत दी गई कि अवैध कब्जा छोड़ दिया जाए। इसके बाद सेक्टर मजिस्ट्रेट इंद्रजीत यादव ने भी तीनों संस्थाओं की आवंटित भूमि की स्थिति का मुआयना किया और अवैध कब्जा छोड़ने की हिदायत दी।

अवैध कब्जा रोकने के लिए मेला प्रशासन से लगाई गुहार

  1. तीर्थपुरोहितों की भूमि पर धार्मिक संस्थाओं के अवैध कब्जे को लेकर प्रयागवाल सभा ने शुक्रवार को एक बार फिर गहरी चिंता जताई। उधर, भूमि आवंटन में गड़बड़ी के साथ ही अवैध कब्जे को लेकर मेला प्रशासन के रवैये पर भी आक्रोश व्यक्त किया गया।  प्रयागवाल सभा के अध्यक्ष डॉ प्रकाश चंद्र मिश्र ने कहा कि प्रशासन अगर अअवैध कब्जा और अतिक्रमण की समस्या का समाधान नहीं करता तो मकर संक्रांति के प्रथम स्नान पर्व से पहले विवाद बढ़ सकता है। उन्होंने बताया कि मेला प्रबंधक को स्थिति से अवगत कराया जा चुका है। माघ मेले में सबसे बड़े समूह के रूप में तीर्थपुरोहित ही कल्पवासियों के शिविरों को बसाते हैं, लेकिन इसकी रत्ती भर परवाह नहीं की जा रही है। त्रिवेणी मार्ग की दक्षिणी पटरी पर तीर्थ पुरोहितों की भूमि पर संस्थाओं को बढ़ाकर भूमि आवंटित कर दी गई है। बड़ी माप वाली संस्थाओं को मुख्य मार्ग पर भूमि आवंटन से तीर्थपुरोहितों को गाटा मार्गों पर विस्थापित होना पड़ रहा है। इस पर रोक लगाई जानी चाहिए।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Uttarakhand