संगम नोज और अन्य घाटों पर गंगा जल के काला पड़ने की जानकारी पीएमओ, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से मांगने के बाद संबंधित विभाग बचाव में लगे हैं। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारी की ओर से दावे किए जा रहे हैं कि गंगा जल में बीओडी मानक के अनुरूप है। वहीं सच्चाई इससे बिल्कुल अलग है।

शहर के रसूलाबाद, सलोरी, दारागंज, नैनी, झूंसी, फाफामऊ में सीधे गंगा में समाता नालों और एसटीपी का गंदा पानी इन दावों की पोल खोलता है। बिना शोधन के नालों का गंदा पानी गंगा और यमुना में गिराया जा रहा है। वह भी तब जब माघ मेले की शुरुआत में हफ्ते का ही समय बचा है।पीएमओ से पूछताछ के बाद केंद्रीय और राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के वरिष्ठ अधिकारियों ने गंगा जल की शुचिता जांचने के निर्देश दिए। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारी शुक्रवार को दिन भर गंगा और यमुना के विभिन्न घाटों से नदियों का जल जांच के लिए बीकर और बोतलों में भर कर बतौर नमूना ले गए। नगर निगम की ओर से नामित संस्था ने घाटों पर सफाई भी कराई।रामघाट, दशाश्वमेघ घाट के घाटियों और तीर्थ पुरोहितों के मुताबिक पिछले साल नवंबर के महीने में गंगा जल दूधिया और साफ था। 15 दिन से स्थिति खराब हुई है। गंगा जल का रंग बदलकर काला हो गया है। फाफामऊ, रसूलाबाद, सलोरी, दारागंज, नैनी और झूंसी में गंगा के किनारों पर जाने से पता चला कि गंगा जल का रंग बदलने का मुख्य कारण नदी में गिराए जा रहे गंदे नालों और एसटीपी का पानी है।स्थानीय लोगों ने मौके पर दिखाया कि दारागंज के नागवासुकि छोर पर बांध रोड के बगल गंदे काले रंग की अलग धार गंगा के बराबर बह रही है। एक तरफ मुख्य धारा गंगा की है तो दूसरी तरफ बेहद गंदा दुर्गंध वाला काला गंदा पानी बह रहा है। यही गंदा पानी गंगा को मैला कर उसका रंग बदल रहा है।
मेला क्षेत्र स्थित सिर्फ दारागंज की बात करें तो यहां पांच छोटे नालों का गंदा पानी बिना ट्रीटमेंट के सीधे गंगा में गिराया जा रहा है। यहीं अल्लापुर की ओर से आने वाले पंपिंग स्टेशन और सलोरी एसटीपी का पानी गंगा जल में प्रदूषण का कारण बन रहा है।

बोले पुरोहित, दूधिया जल महीने भर में बदलकर हुआ काला

रामघाट पर दशकों से बैठ रहे पुरोहित और के मुताबिक पिछले नवंबर में गंगा जल का रंग दूधिया था। सूरज की रोशनी पड़ने पर जल चमकता था। बीच धार ही नहीं किनारों पर निर्मल गंगा की अविरल धारा थी। अब घाटों पर तो जल रंग बदल चुका है। श्रद्दालु भी इसकी शिकायत करते हैं, लेकिन आस्था में डुबकी जरूर लगाते हैं, डिब्बों में जल भी भरते हैं। पुरोहितों और घाटियों ने कहा कि कुंभ की तरह गंगा जल की धारा निर्मल होनी चाहिए।

आज के नमूनों की तीन दिन बाद आएगी रिपोर्ट

प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारी प्रदीप विश्वकर्मा शुक्रवार सुबह से ही टीम सदस्यों के साथ गंगा घाटों पर पहुंचे। जल के नमूने एकत्र किए। उन्होंने संगम नोज के साथ यमुना जल का भी नमूना जांच के लिए एकत्रित किया। उनका दावा है कि गंगा जल में बीओडी की मात्रा मानक के मुताबिक तीन से कम है। पिछली रिपोर्ट में इसका मापक 2.2 से 2.5 तक मिला है। वहीं पीएच और डीओ की रिपोर्ट संतोषजनक है। उनके मुताबिक गंगा जल की रिपोर्ट बी श्रेणी की है। जल का रंग काला क्यों है, इस पर उनका कहना है कि देखने में जल का काला, मटमैला और हरा रंग बीकर या बोलत में भरने के बाद साफ दिखता है। इसके दूसरे कारण हैं। हम एक जनवरी से गंगा जल की नियमित गुणवत्ता जांच रहे हैं। शुक्रवार को लिए गए जल नमूनों की रिपोर्ट तीन दिन बाद आएगी।

नैनी में अरैल तट के आगे गंगा में सीधे गिर रही गंदगी

संगम घाट के ठीक सामने नैनी के अरैल तट के बगल एक बड़ा नाला गंगा को मैला कर रहा है। वहीं नए पुल के नीचे नैनी में एक नाला यमुना में गिर रहा है। गंगा में सीधे गिर रही गंदगी जल को प्रदूषित कर रही है।

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