देवप्रयाग से करीब छह किलोमीटर दूर पंतगांव में भारी बारिश से ऑल वेदर रोड परियोजना के तहत निर्मित पुश्ता धंस गया है जो कभी भी ध्वस्त हो सकता है।

बदरीनाथ हाईवे का 50 मीटर हिस्सा क्षतिग्रस्त

पंतगांव में ऋषिकेश-बदरीनाथ हाईवे का लगभग 50 मीटर पुश्ता धंस गया है। हालांकि यहां वाहनों की आवाजाही चालू है लेकिन खतरे को देखते हुए यहां बैरीकेटस लगा दिए गए हैं। कार्यदायी संस्था लोक निर्माण विभाग राष्ट्रीय राजमार्ग (पीडब्लूडी एनएच) खंड का कहना है कि सड़क किनारे बिजली के पोल गाड़ने के लिए खोदे गड्ढों में पानी जमा होने की वजह से हो सकता पुश्ता धंसा हो।

मंगलवार सुबह देवप्रयाग से करीब छह किलोमीटर दूर पंतगांव में भारी बारिश से ऑल वेदर रोड परियोजना के तहत निर्मित पुश्ता धंस गया है जो कभी भी ध्वस्त हो सकता है। पुश्ते के धंसने से यह हिस्सा वाहनों के आवागमन के लायक नहीं रह गया है। गनीमत रही कि जब पुश्ता धंसा उस वक्त इसके ऊपर वाहन नहीं चल रहे थे।

पीडब्लूडी एचएच खंड के सहायक अभियंता बीएन द्विवेदी ने बताया कि पुश्ते में पानी जाने से यह धंस गया है। इन दिनों यहां ऊर्जा निगम की ओर से पोल गाड़े गए हैं। हो सकता है कि पोल गाड़ने के लिए खोदे गए गड्ढों से पानी पुश्ते में घुसा हो। उन्होंने बताया कि जिस एजेंसी के पास यह पैच है उसको पुश्ते की मरम्मत के लिए कह दिया गया है। पुश्ता धंसने से वाहनों की आवागमन पर असर नहीं पड़ा है। यहां छह मीटर से अधिक भाग सुरक्षित है जो वाहनों के आवागमन के लिए पर्याप्त है।

ऑलवेदर परियोजना से हाईवे तो हुआ सुगम पर पागल नाला बना मुसीबत

ऑलवेदर रोड परियोजना कार्य से बदरीनाथ हाईवे कई जगहों पर सुगम तो हो गया है लेकिन पागल नाला में हाईवे आज भी बदहाल है। यहां हल्की बारिश होने पर ही मलबा हाईवे पर आ रहा है जिससे यातायात बाधित हो रहा है। यहां नाले में अभी भी बोल्डर अटके हैं जो कभी भी हाईवे को क्षतिग्रस्त कर सकते हैं। ऑलवेदर रोड परियोजना के तहत एनएचआईडीसीएल ने पागल नाला में पुल निर्माण का प्रस्ताव रखा है लेकिन इस प्रस्ताव पर अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हो पाई है।

पीपलकोटी से करीब नौ किलोमीटर की दूरी पर स्थित पागल नाला टंगणी गांव के समीप स्थित है। वर्ष 2016 से यहां भूस्खलन हो रहा है। तब हाईवे सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) के पास था। बीआरओ ने हाईवे सुचारु करने के लिए नाले के मलबे को टंगणी गांव के खेतों में डाल दिया। अब ये खेत भी भूस्खलन की चपेट में हैं। यहां हल्की बारिश होने पर भी पागल नाला में मलबा और बोल्डर आ रहे हैं। हाईवे बंद होने से सेना, तीर्थयात्रियों और स्थानीय लोगों को हो रही आवाजाही में दिक्कतें होती हैं।

पूर्व जिला पंचायत सदस्य देवेंद्र सिंह नेगी का कहना है कि छह साल से पागल नाला का स्थायी समाधान नहीं हो पाया है। उच्च हिमालय क्षेत्रों में बारिश होने पर नाले में पानी बढ़ जाता है जिससे हाईवे पर मलबा भर जाता है। पूर्व में बीआरओ और अब एनएचआईडीसीएल (राष्ट्रीय राजमार्ग एवं ढांचागत विकास) यहां सिर्फ मलबा हटाने पर ही करोड़ों रुपये खर्च कर चुका है।

इधर, एनएचआईडीसीएल के प्रबंधक संदीप कार्की का कहना है कि पागल नाला में करीब 300 मीटर लंबा पुल स्थापित किया जाएगा। इसकी डीपीआर बन रही है। इसमें छह माह का समय लगेगा। उन्होंने बताया कि आगामी वर्ष जनवरी माह से पुल निर्माण कार्य शुरू हो जाएगा।

By Tarun

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