उत्तर प्रदेश के 22 कांवड़ यात्री बेलक-बूढ़ाकेदार पैदल यात्रा पर रातभर फंसे रहे। बारिश के कारण वह रास्ता भटक गए। बुधवार तड़के एसडीआरएफ और राजस्व पुलिस की टीम ने कांवड़ियों को बेलक के पास से रेस्क्यू कर सकुशल निकाला।
गंगोत्री से गंगाजल लेकर बूढ़ाकेदार जा रहा 22 कांवड़ यात्रियों का दल रास्ता भटक गया, जिससे दल के सदस्यों को पूरी रात जंगल में ही बितानी पड़ी। यात्रियों की सूचना पर जंगल पहुंची प्रशासन की टीम ने दल के सभी लोगों को सुरक्षित बूढ़ाकेदार पहुंचाया और उसके बाद उन्हें वहां से ऋषिकेश के लिए रवाना किया।
मंगलवार रात को बुलंदशहर उत्तर प्रदेश निवासी 22 कांवड़ यात्रियों का दल बूढ़ाकेदार भगवान शिव को जल चढ़ाने जा रहा था, लेकिन दल के सदस्य त्रियुगीनारायण-भटवाड़ी-बेलक-बूढ़ाकेदार मार्ग पर रास्ता भटक गए। मंदिर की ओर जाने के बजाय वे जंगल की तरफ चले गए। दल के सदस्यों ने प्रशासन को उनके जंगल में भटकने की सूचना दी।
एसडीएम केएन गोस्वामी ने राजस्व उपनिरीक्षक जीएस रावत ने बताया कि मंगलवार रात करीब दो बजे प्रशासन व एसडीआरएफ की बचाव टीम ने किसी तरह पंगराणा जंगल में पहुंचकर यात्रियों से संपर्क किया। उन्होंने बताया कि यात्रियों में 19 पुरुष और तीन महिलाएं शामिल थीं। प्रशासन की ओर से उन्हें पानी, बिस्कुट आदि की व्यवस्था कराई गई। सुबह पांच बजे सभी यात्रियों को सकुशल बूढ़ाकेदार पहुंचाया गया। इसके बाद वे सभी ऋषिकेश के लिए रवाना हुए।यात्रियों का आरोप है कि मार्ग पर कोई चिह्न और दिशा सूचक नहीं थे। जर्जर मार्ग के कारण वे रास्ता भटक गए। उन्होंने मार्ग पर दिशा सूचक लगाए जाने की बात कही। कोटी के प्रधान जयवीर रावत, चंद्रेश नाथ, हिमा गुनसोला ने बताया कि त्रियुगीनारायण-भटवाड़ी-बेलक-बूढ़ाकेदार यात्रा का प्राचीन पैदल मार्ग है। यहां से चारधाम और कांवड़ यात्री आते-जाते हैं लेकिन लंबे समय से मार्ग की दशा खराब है। पहले लोनिवि की गैंग (बेलदार) मार्ग की मरम्मत के लिए तैनात रहती थी लेकिन अब कई वर्षों से मार्ग पर न गैंग है और न ही इसकी मरम्मत हुई है।