कांवड़ यात्रा 14 जुलाई से शुरू हो जाएगी, लेकिन धनौरी-भगवानपुर मार्ग पर कांवड़ियों के लिए बिजली और पानी की सुविधा नहीं दी गई है। हरियाणा, पंजाब और हिमाचल की ओर जाने वाले कांवड़ियों का यही प्रमुख रूट है।
हरिद्वार से जल लेकर लौटने वाले कांवड़िये हर वर्ष कांवड़ पटरी मार्ग से निकलते हैं। ज्वालापुर से लेकर नारसन तक तो कांवड़ियों के लिए बिजली और पानी आदि की सुविधा दी जाती है, लेकिन कांवड़ पटरी मार्ग पर धनौरी से कटकर भगवानपुर, सहारनपुर, हरियाणा, पंजाब की ओर जाने वाले मार्ग पर प्रशासन की ओर से कोई ध्यान नहीं दिया जाता है। इस रूट से लाखों की संख्या में कांवड़िये धनौरी भगवानपुर मार्ग का प्रयोग गंतव्य की ओर जाने के लिए करते हैं।प्रदेश की सीमा तक करीब 25 किलोमीटर लंबे मार्ग पर कांवड़ियों की सुविधा के लिए बिजली का इंतजाम भी नहीं है। भारतीय उत्थान परिषद के अध्यक्ष अंकित कुमार ने आरोप लगाया कि प्रशासन इस मार्ग पर सुविधा देने को लेकर पल्ला झाड़ लेता है।
मेला प्रशासन की ओर से हरिद्वार से रुड़की होते हुए राज्य की सीमा तक नहर पटरी पर कांवड़ मार्ग तय किया गया है, इसलिए इसी मार्ग पर पथ प्रकाश की व्यवस्था की गई है। तिरछे पुल से सटे भगवानपुर मार्ग पर पथ प्रकाश की व्यवस्था को लेकर मेला प्रशासन की ओर से आदेशित नहीं किया गया है।