Waterloo: कनाडा में स्थित शहर वाटरलू (Waterloo) की इन दिनों खूब चर्चा हो रही है। वाटरलू का अपना एक इतिहास है जिसके बारे में जानकर आप हैरत में पड़ जाएंगे। नेपोलियन की सेना और ब्रिटेन के बीच वाटरलू की जंग हुई थी। मशहूर वाटरलू की लड़ाई में हजारों लोगों की मौत हुई थी। इस लड़ाई में नेपोलियन को हार का सामना करना पड़ा था। हालांकि इस जंग के बाद भी यहां पर मानव अवशेष नहीं पाए गए। हजारों लोगों की मौत का कोई सुराग नहीं मिल पाया।
अब सवाल यह है कि आखिर मानव अवशेष कहां गायब हो गए? अब इसको लेकर हैरान करने वाला खुलासा हुआ है जिसके बारे में जानकर यकीन करना मुश्किल है। यूनिवर्सिटी ऑफ ग्लासगो सेंटर फॉर वॉर स्टडीज एंड कॉन्फ्लिक्ट आर्कियोलॉजी के प्रोफेसर पोलार्ड का कहना है कि यूरोपीय जंग का मैदान, हड्डियों का एक आसान स्रोत रहा होगा। इसकी वजह से हो सकता है कि बोन-मील बन गया हो।

पोलार्ड ने खुलासा करते हुए कहा है कि साल 1820 के बाद तीन अखबारों में यूरोपीय युद्धक्षेत्रों से मानव हड्डियों के आयात की खबरें प्रकाशित हुई थीं। इन खबरों में बताया गया था

जगं खत्म होने के बाद वाटरलू एक पर्यटन स्थल की तरह बन गया। यहां मची तबाही को लोग देखने के लिए आते थे। मारे गए लोगों के शरीर पर मौजूद मूल्यवान चीजों को लेकर कुछ लोग लेकर चले जाते थे। दांतों का डेन्चर बनाया जाता था और दूसरे अंगों की अलग कीमत होती थी।

जर्नल ऑफ कॉन्फ्लिक्ट आर्कियोलॉजी में एक नया पेपर प्रकाशित किया गया है। इसमें बताया गया है कि पुरातात्विक जांच से पता चलता है कि इंसानों की कब्रें लोगों के लिए मौका थीं। इसलिए कि मानव हड्डियां फॉस्फेट फर्टिलाइज़र बनाने का अहम जरिया होती है।

ऐतिहासिक दस्तावेजों में तीन जगहों पर सामूहिक कब्रों का जिक्र था। इन कब्रों में 13000 लाशें दफनाई गई थीं, लेकिन पोलार्ड मानते हैं कि वहां पर खोदने से कुछ नहीं मिलने वाला है, क्योंकि इन्हीं दस्तावेजों का इस्तेमाल हड्डियों का धंधा करने वालों के लिए एक नक्शा के तौर काम किया है। इन लोगों ने हड्डियों को निकालकर ब्रिटश द्वीपों पर भेजा है।

वाटरलू की जंग खत्म होने के 207 साल बाद यह मामला सामने आया है, लेकिन यह आज भी रहस्य है। पोलार्ड ने एक जियो फिज़िकल सर्वे किए जाने की उम्मीद जताई है। इस सर्वे से कब्र स्थलों का पता लगाया जा सकता है। मानव अंग हटा भी दिए गए होंगे, तो भी कुछ सबूत मिलेंगे।