लोहाघाट (चंपावत)। टनकपुर-पिथौरागढ़ राष्ट्रीय राजमार्ग (एनएच) पर रोडवेज की बस के ब्रेक फेल हो गए। इससे बस में सवार 42 यात्रियों में चीख पुकार मच गई। चालक ने सूझबूझ का परिचय देते हुए बस को खाई की ओर से बचाकर पहाड़ी की ओर मोड़ दिया। पहाड़ी से टकराकर बस रुक गई। हादसे में दो यात्री मामूली रूप से चोटिल हुए हैं। उन्हें लोहाघाट अस्पताल ले जाया गया है।
हादसा सुबह 8:40 बजे एनएच पर बाराकोट के पास ढलान पर हुआ। चालक ने ब्रेक फेल होने की जानकारी दी तो यात्री सकते में आ गए। बस में चीखपुकार मच गई। चालक बसंत पांडेय ने बस को खाई के विपरीत दिशा में पहाड़ी वाले हिस्से से टकरा दिया। इससे बस कुछ मीटर दूर अटक गई। बस के दीवार में टकराने से पिथौरागढ़ निवासी राधा देवी और देहरादून निवासी मयंक नेगी मामूली रूप से चोटिल हो गए। दोनों चोटिल यात्रियों को आपात सेवा 108 की एंबुलेंस से लोहाघाट उप जिला अस्पताल भेजा गया। लोहाघाट थाने के एसओ जसवीर चौहान के साथ मौके पर पहुंची पुलिस टीम ने राहत और बचाव कार्य किया। बस में सवार लोगों को रोडवेज की दूसरी बस से पिथौरागढ़ भेजा गया।
गोली बनी बस हो गई थी आउट ऑफ कंट्रोल
चंपावत। ढाई दशक से रोडवेज बस का स्टीयरिंग थामने वाले बसंत पांडेय ने सोमवार को एक कठिन इम्तिहान पास कर लिया। उन्होंने अपनी समझदारी, सूझबूझ और तत्परता से 42 यात्रियों की जान बचा ली।
बसंत पांडेय ने बताया कि बाराकोट से कुछ पहले बस का ब्रेक फेल हो गया। तीन बार ब्रेक लगाने पर जब बस नहीं रुकी तो उन्हें खतरे की आहट हो गई थी। अब तक बस ढलान पर गोली की रफ्तार पकड़ चुकी थी। एक पल उन्हें अनहोनी का अंदेशा हुआ लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और फौरन बस की दिशा खाई के विपरीत की। करीब 200 मीटर दूर बस को पहाड़ी से टकराया। सड़क पर्याप्त चौड़ी होने से पहाड़ी वाले हिस्से की दीवार पर बस के टकराने पर वापस आने पर खाई में जाने का खतरा कम था।
यात्रियों की बात
देहरादून से ही लग रहा था गड़बड़ी का अंदेशा
बस में देहरादून से कुछ तकनीकी दिक्कत नजर आ रही थी। बस बच गए। उत्तराखंड परिवहन निगम पर पहाड़ के लोग भरोसा करते हैं लेकिन अब लगता है कि निगम की बसें न भरोसे लायक है और न ही सुरक्षित आवाजाही लायक।
-मोहित बिष्ट
रोडवेज कार्यशाला में बसों की फिटनेस के लिए कार्मिकों की कमी
टनकपुर/लोहाघाट (चंपावत)। रोडवेज बस के ब्रेक फेल होने से एक बार फिर रोडवेज की खामियां उजागर हो गईं। चंपावत जिले के दोनों डिपो (टनकपुर और लोहाघाट) के कार्यशाला में स्थायी कर्मियों की कमी है। बसों की फिटनेस का जिम्मा वाह्य स्रोत से तैनात नौ कर्मचारियों पर है। लोहाघाट की बसों की बड़ी दिक्कत टनकपुर में दूर की जाती हैं।
पहाड़ में आवाजाही के लिए रोडवेज बड़ा आसरा है लेकिन इसका बस बेड़ा बीते दो दशकों में 55 प्रतिशत रह गया है। इस वक्त टनकपुर में 95, तो लोहाघाट में 36 बसें हैं। लोहाघाट के एजीएम नरेंद्र कुमार गौतम का कहना है कि कार्यशाला के संचालन के लिए नियमित और वाह्यस्रोत से 25 कर्मी होने चाहिए लेकिन जूनियर फोरमैन के अलावा नौ कर्मी हैं। फोरमैन, कारपेंटर, इलेक्ट्रीशियन, मैकेनिक, फिटर, टायर मैकेनिक आदि पद खाली हैं। लोहाघाट में 98 चालकों में दस और परिचालक के 17 पद खाली हैं। वहीं टनकपुर के फोरमैन सुरेश पांडेय बताते हैं कि बसों के उपकरण मुख्यालय से आते हैं, लेकिन समय पर नहीं मिलने से दिक्कत आती है। वाह्यस्रोत से 39 कर्मियों के भरोसे टनकपुर कार्यशाला का काम चल रहा है।
चार दिनों में एनएच पर ही खराब हुई तीन बसें
6 जून: टनकपुर से पिथौरागढ़ जाने वाली बस टनकपुर से 25 किलोमीटर दूर सूखीढांग के पास खराब हो गई।
6 जून: सूखीढांग भेजी गई रोडवेज की दूसरी बस सूखीढांग से 26 किलोमीटर दूर अमोड़ी के पास दगा दे गई।
10 जून: दिल्ली से लोहाघाट आ रही बस एनएच पर स्वांला-धौन के बीच खराब।
इस साल सड़क दुर्घटनाओं में हो चुकी हैं 34 मौतें
चंपावत। चंपावत जिले में इस साल अब तक 29 सड़क दुर्घटनाओं में 34 लोगों की मौत हो चुकी है। इसके अलावा 63 लोग घायल हो चुके हैं। हादसों को कम करने के लिए पहाड़ में रात को वाहनों की आवाजाही पर एनएच ही नहीं अन्य सड़कों पर भी रोक लगाई गई है लेकिन इससे भी दुर्घटना पर लगाम नहीं लग रही। हालांकि प्रशासन ने हादसों को रोकने के लिए एसडीएम की अध्यक्षता में एआरटीओ और संबंधित क्षेत्र के सड़क से संबंधित विभाग के ईई की समिति बनाई है जिसकी रिपोर्ट अभी नहीं आई है।