विश्व हिंदू परिषद के केंद्रीय मार्गदर्शक मंडल के दो दिवसीय अधिवेशन के पहले दिन धर्मांतरण से लेकर ज्ञानवापी, हिंसा और युवाओं के पलायन का मुद्दा छाया रहा। इस दौरान संतों ने परिवारों को भी एकजुट करने की बातों पर विचार विमर्श किया। अधिवेशन में पूरे देश के संत मौजूद रहे। अधिवेशन में कुटुंबजन और मठ मंदिरों पर भी चर्चा की गई उत्तरी हरिद्वार के भूपतवाला में स्थित निष्काम सेवा भवन में शनिवार को विश्व हिंदू परिषद के केंद्रीय मार्गदर्शक मंडल का दो दिवसीय अधिवेशन शुरू हुआ। अधिवेशन की अध्यक्षता जगद्गुरु मधावाचार्य स्वामी विश्व प्रसन्न तीर्थ और संचालन केंद्रीय मंत्री अशोक तिवारी ने किया। अधिवेशन में विहिप के महामंत्री मिलिंद परांडे ने विहिप की वर्ष भर की गतिविधियों और उपलब्धियों को उपस्थित धर्माचार्यों के समक्ष रखा।
जूनापीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरि ने कहा कि धर्मांतरण से व्यक्ति अपनी मूल प्रकृति, संवेदनाओं, सत्ता व स्वभाव से विरक्त हो जाता है। इसलिए किसी की भी संवेदनाओं व भावनाओं को आहत नहीं करना चाहिए।
परमार्थ आश्रम के परमाध्यक्ष स्वामी चिदानंद मुनि ने कहा कि काफी दिनों से कई विषय चल रहे हैं। इसमें धर्मांतरण अपने आप में एक विवाद का विषय है। धर्मांतरण नहीं होना चाहिए। सबकी अपनी-अपनी आस्था है और अपना-अपना विषय है। लालच के बल पर तो धर्मांतरण बिल्कुल नहीं होना चाहिए। उन्होंने यूपी में जुम्मे की नमाज वाले दिन हुई हिंसा पर चिंता व्यक्त की और कहा कि जुम्मे की नमाज जिम्मेदारी की नमाज होती है, नमाज में पत्थरबाजी गलत है। लोगों को संविधान का पालन करना चाहिए। शरीयत के साथ साथ शराफत का पालन भी करना चाहिए।
हरि सेवा आश्रम के परमाध्यक्ष महामंडलेश्वर स्वामी हरिचेतनानंद ने कहा कि आज परिवारों में संस्कारों की कमी आ रही है। इसलिए सबको मिलकर शिक्षा के साथ संस्कारों को भी जोड़ना होगा। उन्होंने कहा कि ज्ञानवापी धरोहर है। इसलिए इसे सहर्ष वापस करना चाहिए। केरल से आए स्वामी शक्ति शांतानंद सहित धर्माचार्यों ने, समान नागरिक संहिता, धर्मांतरण के विरोध में सख्त कानून बनाने की मांग की साथ ही हिंदू मठ मंदिरों को वापस करने की सरकार से मांग की।
निरंजन पीठाधीश्वर स्वामी कैलाशानंद गिरि ने कहा कि जुम्मे की नमाज के बाद की घटना से देश के इमामों को सबक लेना चाहिए। देश में अराजकता नहीं चलेगी। भारत में मुसलमान सबसे अधिक सुरक्षित हैं।
इस दौरान निर्मल पीठाधीश्वर श्रीमहंत ज्ञान देव सिंह, निरंजन पीठाधीश्वर स्वामी कैलाशानंद गिरि, युग पुरुष स्वामी परमानंद, श्रीमहंत रविंद्रपुरी, महामंडलेश्वर स्वामी प्रेमानंद, महामंडलेश्वर स्वामी जनार्दन हरी, स्वामी ललिता नंद, महंत राम कृष्ण दास, महामंडलेश्वर स्वामी जितेंद्र दास कानपुर, स्वामी निजानंद गुजरात, स्वामी दिव्यानंद झारखंड, स्वामी रामदास हिमाचल, स्वामी आत्मानंद पुरी गुजरात, स्वामी चिदंबरा नंद, साध्वी प्राची, विश्व हिंदू परिषद के संरक्षक दिनेश चंद्र , उपाध्यक्ष ओमप्रकाश सिंगल, उपाध्यक्ष चंपत राय, महामंत्री विनायक राव देशपांडे, महामंत्री मिलिंद परांडे, संगठन महामंत्री धर्म नारायण, कार्यकारिणी सदस्य राजेंद्र सिंह पंकज, संगठन मंत्री अशोक तिवारी समेत अन्य लोग मौजूद रहे।