विधायकों और कुछ अन्य महानुभावों को अपवाद स्वरूप छोड़ दिया जाए तो राज्य सरकार गनर देने के मामले में बहुत ज्यादा उदार नहीं दिखाई दे रही है। गृह विभाग के सूत्रों के मुताबिक  गनर के लिए आवेदन करने वालेां कई नेता, मठ, मंदिर औश्र आश्रमों के कतिपय साधु-संत के साथ ही कुछ कारोबारी भी हैं।

कानून व्यवस्था के मामले में दूसरे राज्यों की तुलना में शांत माने जा रहे उत्तराखंड में भी कई नेताओं, संतों और कारोबारियों को सरकारी गनर की दरकार है। शासन में 50 से अधिक आवेदन लंबित हैं, जिनमें से अभी तक सिर्फ 11 लोगों को ही गनर उपलब्ध कराए गए हैं। इनमें एक गनर छह माह के लिए पूर्व विधायक देश राज कर्णवाल को भी दिया गया है, लेकिन पूर्व विधायक कुंवर प्रणव चैंपियन को गनर देने से इंकार कर दिया गया है।

बकौल चैंपियन उन्होंने बदली हुई परिस्थितियों में फिर शासन से सुरक्षा की मांग के दृष्टिगत गनर की मांग की है। विधायकों और कुछ अन्य महानुभावों को अपवाद स्वरूप छोड़ दिया जाए तो राज्य सरकार गनर देने के मामले में बहुत ज्यादा उदार नहीं दिखाई दे रही है। गृह विभाग के सूत्रों के मुताबिक  गनर के लिए आवेदन करने वालेां कई नेता, मठ, मंदिर औश्र आश्रमों के कतिपय साधु-संत के साथ ही कुछ कारोबारी भी हैं।

11 लोगों में संत भी और राजनीतिज्ञ भी

शासन ने जिन 11 लोगों को गनर की सुविधा प्रदान की है, उनमें एक उत्तरकाशी के नेता हैं, ऋषिकेश के एक मशहूर संत हैं जबकि हरिद्वार से दो प्रमुख संतों को भी गनर की सुविधा प्रदान की गई है। इन सभी ने सुरक्षा का खतरा होने की आशंका के दृष्टिगत गनर की मांग की थी।

अब इतना आसान नहीं गनर लेना

एक दौर था जब सरकारी खर्च पर गनर लेने की उत्तराखंड में रिवायत सी हो गई थी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद गनर आवंटित करने की प्रक्रिया कड़ी हो गई। अब जिलास्तर पर गठित कमेटी की सिफारिश के बाद ही गृह विभाग निर्णय लेता है कि गनर देना जरूरी है या नहीं।

प्रणव चैंपियन को नहीं मिला गनर

भाजपा के पूर्व विधायक कुंवर प्रणव चैंपियन के आवेदन पर जिलास्तरीय कमेटी ने जांच में पाया कि चैंपियन को कोई खतरा नहीं है। इसी रिपोर्ट के आधार पर गृह विभाग ने चैंपियन को गनर नहीं देने का निर्णय लिया है। सूत्रों के मुताबिक, हरिद्वार जिले में चैंपियन को पहले से ही एक गनर की सुविधा दी गई है।

चैंपियन ने शासन से फिर गनर मांगा

गृह विभाग ने काफी पहले गनर के लिए भेजे गए मेरे प्रस्ताव को खारिज कर दिया था, लेकिन बदली हुई परिस्थितियों के बीच मेरी जान को खतरा और अधिक बढ़ गया है। इसलिए मैने सरकार से दोबारा सुरक्षा की मांग की है।

By Tarun

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