ज्ञानवापी मामले में धार्मिक भावनाएं भड़काने समेत कई अन्य आरोपों में सपा प्रमुख अखिलेश यादव, एआईएमआईएम चीफ असदुद्दीन ओवैसी और उनके भाई समेत सात  नामजद और कई अज्ञात के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने की मांग की गई है। मामले की सुनवाई आज टल गई

एआईएमआईएम चीफ असदुद्दीन ओवैसी और  सपा प्रमुख अखिलेश यादव सहित सात नामजद व कई अज्ञात के खिलाफ धर्मिक  भावना भड़काने के मुकदमे की पोषणीयता (सुनने योग्य है या नहीं) और ज्ञानवापी में मिले शिवलिंग स्थल पर वजू करने के मामले में मुकदमा दर्ज करने के आवेदन पर अब कल सुनवाई होगी।

आज अधिवक्ता अनिल मिश्र के निधन के कारण सुनवाई टल गई। अब शुक्रवार को अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट पंचम उज्जवल उपाध्याय की अदालत में मुकदमे से संबंधित पत्रावली पेश की जाएगी।मामले में वादी हरिशंकर पांडेय की तरफ से ज्ञानवापी सर्वे में सहायक कमिश्नर अजय प्रताप सिंह, घनश्याम मिश्र और साधना सिंह ने वकालत नामा दाखिल किया है।  वाद दाखिल करने वाले अधिवक्ता हरिशंकर पांडेय ने 30 मई को अदालत में मामले में और साक्ष्य देने के लिए समय की मांग की थी, जिस पर कोर्ट ने दो जून की तिथि सुनवाई के लिए नियत की थी।

ये है पूरा मामला

ज्ञानवापी परिसर में शिवलिंग मिलने के दावे के बाद अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट पंचम की अदालत में सीआरपीसी की धारा 156-3 में आवेदन देकर कहा गया है कि सपा मुखिया अखिलेश यादव और सांसद असदुद्दीन ओवैसी व उनके भाई ने लगातार हिंदुओं के धार्मिक मामलों और स्वयंभू लार्ड विश्वेश्वर के खिलाफ अपमानजनक बातें कीं।

इसमें आरोप लगाया गया कि पूरे मामले की साजिश में अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी, शहर काजी, शहर के उलेमा और 200 अज्ञात ने धार्मिक भावनाओं को आहत करने का प्रयास किया। इसमें धार्मिक भावनाओं को आहत करने के आरोप में मुकदमा दर्ज कर विवेचना की मांग की गई है।

ज्ञानवापी में शिवलिंग की बात लेकर अदालत पहुंचे थे हरिशंकर जैन

ज्ञानवापी-श्रृंगार गौरी मामले में कमीशन की कार्यवाही के दौरान ही शिवलिंग मिलने की बात लेकर सबसे पहले अदालत पहुंचने वाले सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता हरिशंकर जैन ने ही अयोध्या में रामलला के पूजा अधिकार का भक्तों को दिलाया था
दरअसल, 1992 में अयोध्या में विवादित ढांचा टूटने के बाद पूरा परिसर सील हो जाने के कारण श्री रामलला की पूजा बंद हो गई थी। हरिशंकर जैन ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की कि हिंदुओं को श्रीराम लला के पूजा के अधिकार से वंचित नहीं किया जा सकता। बाद में इसमें विजय मिली। इसके साथ ही मथुरा में कृष्ण जन्मभूमि, कुतुबमीनार में मंदिर के दावे को लेकर भी जैन अदालत गए हैं।

By Tarun

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Uttarakhand