मुख्य सचिव ने ईको टूरिज्म की दिशा में विशेष प्रयास किए जाने की आवश्यकता बताते हुए देहरादून से लगे वनों के आसपास और पर्यटन स्थलों को विकसित किए जाने की बात कही। मुख्य सचिव ने कैंपा कार्यों की निगरानी के लिए अलग से तंत्र विकसित किए जाने के भी निर्देश दिए।
प्रतीकात्मक तस्वीर

राजधानी देहरादून से लगे वनों, पर्यटक स्थलों के आसपास वॉकिंग और साइक्लिंग ट्रेल्स विकसित किए जाएंगे। इसके साथ ही युवाओं में बढ़ते माउंटेन बाइकिंग के क्रेज को देखते हुए इस क्षेत्र में भी संभावनाएं तलाशी जाएंगी, ताकि प्रदेश में एडवेंचर टूरिज्म को बढ़ावा दिया जा सके। उत्तराखंड प्रतिकरात्मक वन रोपण निधि प्रबंधन और योजना प्राधिकरण (उत्तराखंड कैंपा) की संचालन समिति की बैठक में यह बातें मुख्य सचिव डॉ. एसएस संधु ने कहीं।

सचिवालय में आयोजित बैठक में मुख्य सचिव ने अधिकारियों को वनाग्नि की घटनाओं पर विशेष ध्यान देते हुए प्रदेश को सेंटर ऑफ एक्सीलेंस की तर्ज पर कार्य करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि वनाग्नि नियंत्रण कार्यों के लिए वन पंचायतों को भी मजबूत बनाया जाए। मुख्य सचिव ने कहा कि इस योजना के तहत प्राकृतिक वनों के संरक्षण एवं जल श्रोतों के संवर्द्धन, वन्य जीवों के प्राकृतिक आश्रय स्थल के संरक्षण, पारिस्थितिकीय संतुलन एवं पर्यावरण सेवाओं की उपलब्धता में वृद्धि के प्रयासों पर भी विशेष ध्यान दिया जाए।
मुख्य सचिव ने ईको टूरिज्म की दिशा में विशेष प्रयास किए जाने की आवश्यकता बताते हुए देहरादून से लगे वनों के आसपास और पर्यटन स्थलों को विकसित किए जाने की बात कही। मुख्य सचिव ने कैंपा कार्यों की निगरानी के लिए अलग से तंत्र विकसित किए जाने के भी निर्देश दिए।
उन्होंने आगे से संचालन समिति की बैठकों में उजाड़ वन क्षेत्रों (डिग्रेड फॉरेस्ट) की जानकारी भी साझा किए जाने के निर्देश दिए। कहा कि इससे ऐसे वनों के वनीकरण के लिए कार्य योजनाएं तैयार की जा सकेगी। बैठक में प्रमुख सचिव वन आरके सुधांशु, पीसीसीएफ विनोद कुमार सिंघल सहित वन विभाग के शीर्ष अधिकारी उपस्थित थे। 
वर्ष 2022-23 में कैंपा कार्यों में खर्च होंगे 418.98 करोड़ रुपये
बैठक में उत्तराखंड कैंपा की वार्षिक कार्ययोजना के लिए कैंपा नियमावली में निहित प्रावधानों के तहत वर्ष 2022-23 अनुमन्य गतिविधियों के लिए कुल 418.98 करोड़ रुपये की वार्षिक कार्ययोजना स्वीकृत की गई। इस कार्ययोजना में वृक्षारोपण, वन्यजीव प्रबंधन, वनाग्नि सुरक्षा कार्य, मृदा एवं जल संरक्षण के साथ ही बुग्यालों आदि के संरक्षण का प्राविधान किया गया। इसके साथ ही फॉरेस्ट एंड वाइल्ड लाइफ रिसर्च, वन पंचायतों का सुदृढ़ीकरण, वॉकिंग एंड साइक्लिंग ट्रेल्स का विकास और ईको-टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए भी प्राविधान किया गया है।

By Tarun

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