पिछले साल प्रदेश में कुल 1405 दुर्घटनाएं हुईं। इनमें सबसे ज्यादा 1079 दुर्घटनाएं रैश ड्राइविंग की वजह से हुई, जिसमें 582 की मौत हुई और 849 घायल हुए। गलत दिशा में वाहन चलाने पर 98 दुर्घटनाओं में 53 की मौत और 81 घायल हुए।
प्रतीकात्मक तस्वीर

प्रदेश के पांच जिलों में 46 मौत के मुहाने हैं। इन दुर्घटना संभावित सड़कों पर परिवहन मंत्री चंदन रामदास ने बरसात से पहले सुरक्षा उपाय करने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा कि जो भी ब्लैक स्पॉट अछूते हैं, वहां की निविदा प्रक्रिया जल्द पूरी करते हुए सड़क सुरक्षा के सभी पुख्ता उपाय किए जाएं।

किस जिले में कौन से ब्लैक स्पॉट
देहरादून : सात मोड, चांदनी चौक, काली मंदिर, अन्ना हजारे चौक, मोथरोवाला चौक, सरस्वती विहार, पुरानी चोकी, अंबाड़ी मोड, लेहमन पुल, ब्राइट एंलजल, बाड़ावाला, लांघा रोड, हर्बटपुर मजार के पास, छबरा रोड तिराहा सहसपुर, रांगड़वाला चुंगी, लॉ कॉलेज के सामने और अमिताभ टैक्स टाइल्स मिल।

हरिद्वार: स्वदेशी कंपनी से इमलीखेड़ा जीआईसी तिराहा, मलकपुर चुंगी, डबल फाटक ओवर ब्रिज मोहनपुर, मिलिट्री चौक, रसियाबढ़ा, गैंडीखाता, पीली नदी, चिड़ियापुर और तिरछा पुल।
टिहरी: कंगूसाली मदननेगी मोटरमार्ग।

ऊधमसिंह नगर: ग्राम सिसौना, केशोवाला मोड के पास बाजपुर, स्टेडियम तिराहा से उज्जैन तिराहा, नगला बाईपास के सामने, दिनेशपुर मोड से सकैनिया, सूरजपुर से एनआईएमटी, 31वीं वाहिनी पीएसी, नागला विवि गेट से शांतिपुरी गेट के बीच, पीलीभीत रोड चारूबेटा से मंडेल तक।

नैनीताल: छोई तिराहे से शमशारा होटल मोड तक, पीलीकोठी, लामाचौड़, रिलायंस पेट्रोल पंप काशीपुर रोड, नत्थनपीर मजार के पास काशीपुर रोड, आमडांडा बैरियर के पास रानीखेत रोड, लखनपुर चौराहे से पीडब्ल्यूडी गेस्ट हाउस के पास, हिम्मतपुर चौराहा, रेलवे स्टेशन से वीआईपी गेट, मोटाहल्दू।

रैश ड्राइविंग ले रही सबसे ज्यादा जानें

सड़क सुरक्षा परिषद की बैठक में दुर्घटनाओं के कारणों पर भी मंथन हुआ। इसमें बताया गया कि पिछले साल प्रदेश में कुल 1405 दुर्घटनाएं हुईं। इनमें सबसे ज्यादा 1079 दुर्घटनाएं रैश ड्राइविंग की वजह से हुई, जिसमें 582 की मौत हुई और 849 घायल हुए। गलत दिशा में वाहन चलाने पर 98 दुर्घटनाओं में 53 की मौत और 81 घायल हुए।

गलत दिशा से ओवरटेकिंग करने पर भी 27 हादसों में 18 की मौत और 17 घायल हुए। शराब पीकर वाहन चलाने के मामलों में 16 हादसे हुए, जिसमें चार की मौत और 20 घायल हुए। गलत पार्किंग के सात हादसों में छह की मौत, एक घायल हुआ। वाहन की खराब हालत की वजह से छह हादसों में 11 की मौत और दो घायल हुए। मौसम के कारण दो हादसे हुए, जिसमें एक की मौत और एक घायल हुआ। वाहन के सामने अचानक जानवर आने के चार हादसों में पांच की मौत और चार घायल हुए। अन्य कारणों से 159 हादसों में 131 की मौत और 100 घायल हुए।

कार और भारी वाहन हो रहे जानलेवा
परिवहन विभाग के मुताबिक, पिछले वर्ष सबसे ज्यादा 369 हादसे कारों के हुए। इसके बाद 305 हादसे मध्यम या भारी भार वाहन के हुए। दो पहिया वाहनों के 241, तिपहिया वाहनों के 25, टैक्सी-मैक्सी के 49, मिनी बस, बस के 70, ट्रैक्टर ट्रॉली के 82, अज्ञात वाहन के 103 और हल्के भार वाहन के 66 हादसे हुए। अन्य वाहनों के 95 हादसे दर्ज किए गए।

शहर नहीं गांवों में ज्यादा हो रहे सड़क हादसे
बैठक में यह भी तथ्य सामने आया कि तीन साल में ग्रामीण क्षेत्रों में ज्यादा हादसे हुए। 2020 में गांवों में 558 शहरों में 483, 2021 में गांवों में 732 और शहरों में 673, इस साल जनवरी से अप्रैल के बीच गांवों में 275 और शहरों में 242 हादसे हुए। इनमें मौतें भी गांवों में ज्यादा हुई हैं और घायल भी ज्यादा हुए।
मैदानी जिलों में ज्यादा हादसे
बैठक में यह भी तथ्य सामने आया है कि पर्वतीय के मुकाबले मैदानी जिलों में ज्यादा सड़क हादसे हो रहे हैं। देहरादून में 2019 में 328, 2020 में 246 और 2021 में 365 हादसे हुए। ऊधमसिंह नगर में 2019 में 327, 2020 में 271 और 2021 में 361 हादसे हुए। हरिद्वार में 2019 में 300, 2020 में 229 और 2021 में 354 हादसे हुए। नैनीताल जिले में 2019 में 197, 2020 में 147 और 2021 में 177 हादसे हुए। प्रदेश में सबसे कम 2019 में पांच, 2020 में चार और 2021 में नौ हादसे बागेश्वर जिले में हुए हैं। पर्वतीय जिलों में साल के औसत तीन से 46 हादसे हो रहे हैं।

By Tarun

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