रीठा साहिब (चंपावत)। रीठा साहिब का नाम आते ही यहां का गुरुद्वारा जेहन में आता है। इस नामी गुरुद्वारे में मत्था टेकने के लिए देश- दुनिया से बड़ी संख्या में आने वाले सिख श्रद्धालुओं को प्रसाद में मीठा रीठा दिया जाता है।सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक जी की आध्यात्मिक शक्ति से कड़वे रीठे मीठे हो गए थे लेकिन कड़वे रीठे को मीठे बनाने वाले इस क्षेत्र के लोगों की जिंदगी में मिठास नहीं है। सुविधाओं की कमी ने उनके जीवन में ये कड़वाहाट घोली है। गुरुद्वारे में शनिवार से तीन दिनी जोड़ मेला शुरू होगा। आधारभूत सुविधाओं वाले इस तीर्थस्थल की समस्याओं की लंबी फेहरिस्त से यह आध्यात्मिक नगरी विकास से अछूती है।वर्ष 1505 में रीठा साहिब में गुरु नानक जी पधारे थे। अमृतवाणी के दौरान शिष्य मरदाना को भूख लगने पर वहां कड़वे रीठे खाने को दिए। नानक जी की आध्यात्मिक साधना से इन रीठों का स्वाद छुआरे जैसा मीठा हो गया। गुरुद्वारे में लंगर चलने से भोजन और रहने की दिक्कत नहीं हैं, लेकिन इस खूबसूरत क्षेत्र में समस्याएं बेशुमार हैं। न पार्किंग है और न हेलीपैड की सुविधा है।
रीठा साहिब से सूखीढांग सड़क का डामर भी नहीं हुआ है। मंजूरी के बाद डिग्री कॉलेज भी नहीं खुल सका। जुलाई 2017 में तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने रीठा साहिब में कार पार्किंग निर्माण की घोषणा की थी। 212.93 लाख रुपये की डीपीआर बनाए जाने के बावजूद पार्किंग का काम शुरू नहीं हो सका है। संवाद
एटीएम भी उखड़ा
रीठा साहिब (चंपावत)। रीठा साहिब में देशभर से लोगों की आवाजाही बनी रहती है लेकिन यहां स्थानीय लोगों से लेकर श्रद्धालुओं तक के लिए एटीएम की कोई सुविधा नहीं है। ग्रामीणों का कहना है कि आठ वर्ष पहले पंजाब एंड सिंध बैंक का एटीएम खुला लेकिन ये एटीएम कभी चल नहीं सका। अब इसे बंद कर दिया गया है। केएमवीएन की गैस सिलिंडर रिफिलिंग की सुविधा भी यहां नहीं है। और तो और स्वच्छ भारत अभियान से भी ये इलाका दूर है। लाखों श्रद्धालुओं के आने के बावजूद यहां सार्वजनिक शौचालय नहीं हैं।

रीठा साहिब में चल रहा बाढ़ सुरक्षा का काम रीठा साहिब (चंपावत)। तमाम असुविधाओं के बीच रीठा साहिब में एक काम जरूर हो रहा है। यहां बाढ़ सुरक्षा योजना का काम किया जा रहा है। 3.66 करोड़ रुपये से सिंचाई विभाग रतिया और लधिया नदी के तट पर 576 मीटर लंबी सुरक्षा दीवार बना रहा है।
गुरुद्वारे आ चुकी हैं अनेकों हस्तियां
रीठा साहिब (चंपावत)। राष्ट्रपति रहे ज्ञानी जैल सिंह ने देश के गृह मंत्री के रूप में 1981 में रीठा साहिब गुरुद्वारे में मत्था टेक चुके हैं। उत्तराखंड के पहले राज्यपाल रहे सरदार सुरजीत सिंह बरनाला ने 2002 में गुरुद्वारे में शीश नवाया। पिछले साल राज्य के मुख्य सचिव डॉ. एसएस संधू और इसी महीने पंजाब के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक हरप्रीत सिंह सिद्दू ने भी दर्शन किए।
पवित्र गुरुद्वारे से जुड़े रीठा साहिब में आधारभूत सुविधाओं की कमी से श्रद्धालुओं को दिक्कत होती है। हेलीपैड से लेकर कई जरूरी प्रबंध किए जाने से सुविधाएं भी बढ़ेंगी और स्थानीय रोजगार भी।
बाबा तरसेम सिंह, कार सेवा प्रमुख, नानकमत्ता।
रीठा साहिब क्षेत्र में समस्याओं को चिह्नित कर सुविधाओं का विस्तार किया जाए ताकि दूर से आने वालों को सुविधा मिलने के साथ ग्रामीण विकास को भी पंख लगेंगे। बाबा श्याम सिंह, प्रबंधक, गुरुद्वारा, रीठा साहिब।
उपचुनाव की वजह से आचार संहिता लगी है। इसलिए अभी रीठा साहिब के विकास और आधारभूत ढांचे को संवारने के लिए संचालित योजनाओं पर टिप्पणी ठीक नहीं है। इतना जरूर है कि लधिया घाटी के इस महत्वपूर्ण क्षेत्र को सुविधाओं से जोड़ा जाएगा।

By Tarun

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