शारदीय नवरात्र के पहले दिन घरों और मंदिरों में भगवती के प्रथम शैलपुत्री स्वरूप की पूजा अर्चना की गई। मुहूर्त के अनुसार कलश स्थापना के बाद पंचपुरी के सैकड़ों घरों में देवी भागवत के पाठ शुरू हो गए। शनिवार को दिनभर सभी प्रमुख देवी मंदिरों में श्रद्धालुओं की भीड़ देखी गई।

शहर और आसपास के लोगों ने नवरात्र पूजन की शुक्रवार को ही तैयारी कर ली थी। शनिवार को श्रद्धालुओं ने गंगा और घरों में स्नान करने के बाद दुर्गा प्रतिमा सजाकर मांगलिक कलश की स्थापना हुई। जल कलश के ऊपर पवित्र श्रीफल रखकर गणेश पूजन से दुर्गा पूजा शुरू हुई। देवी भागवत के पाठ भी अब नौ दिनों तक चलते रहेंगे। सैकड़ों नगरवासी नवरात्र में व्रत रखकर पूजा करते हैं। घरों में कलश स्थापना और पूजा अर्चना के बाद श्रद्धालु प्रसिद्ध देवी मंदिरों में पहुंचे। मनसा देवी, चंडी देवी, सुरेश्वरी, मायादेवी, शीतलामाता, दक्षिण काली मंदिर में सुबह से ही श्रद्धालुओं की लंबी कतार लग गई थी। जैसे जैसे दिन चढ़ा बाहर के श्रद्धालु भी यहां पहुंचने लगे। दिनभर सभी मंदिरों में श्रद्धालुओं का आना-जाना लगा था। सायंकाल मां की आरती उतारी गई। इस दौरान भी श्रद्धालुओं की लंबी कतार लगी रही।
सभी मंदिरों में थी सैनिटाइज की व्यवस्था
सभी प्रमुख मंदिरों में कोरोना गाइडलाइन का भी पालन करवाया गया। मंदिर में प्रवेश करने से पहले सभी श्रद्धालुओं को मास्क पहनने के लिए कहा गया। मास्क पहनने के बाद ही प्रवेश दिया। हाथों को सैनिटाइज किया जा रहा था।
धार्मिक अनुष्ठानों से होता है नई ऊर्जा का संचार
हरिद्वार। जगद्गुरु रामानंदाचार्य स्वामी अयोध्याचार्य महाराज ने कहा कि धार्मिक अनुष्ठानों से नई ऊर्जा का संचार होता है और यज्ञ योग की विधि है। शारदीय नवरात्रों के प्रथम दिवस पर भूपतवाला स्थित नरसिंह धाम यज्ञशाला में 51 ब्राह्मणों की ओर से विश्व शांति के लिए यज्ञ में आहुति डालने के बाद उन्होंने श्रद्धालुओं को संबोधित किया। स्वामी अयोध्याचार्य महाराज ने कहा कि धार्मिक प्रवृत्ति के लोगों को सत्य प्रयोजन के लिए संगठित करना ही यज्ञ का प्रमुख उद्देश्य है। इस मौके पर महंत राजेंद्रदास महाराज, साध्वी विजय लक्ष्मी, साध्वी वैष्णवी जयश्री, महंत जानकी दास, महंत वीरेश्वर आदि उपस्थित रहे।

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