
बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति में अनियमितता का मामला अचानक सुर्खियों में आ गया। चार महीने पहले तत्कालीन वन मंत्री डॉ.हरक सिंह रावत के पत्र पर सचिव धर्मस्व ने गढ़वाल आयुक्त को जांच के निर्देश दिए थे। सचिव धर्मस्व हरिश्चंद सेमवाल के मुताबिक जांच के बारे में अभी तक शासन को कोई रिपोर्ट प्राप्त नहीं हुई है
उनका कहना है कि इस प्रकरण पर शासन स्तर पर अभी कोई नई कार्रवाई नहीं की गई है। उन्होंने बताया कि दिसंबर 2021 में तत्कालीन मंत्री की ओर से शासन को शिकायत पत्र प्राप्त हुआ था। उस पत्र के संदर्भ में गढ़वाल आयुक्त को जांच आख्या देने के लिए कहा गया था।
इधर, बदरीनाथ केदारनाथ मंदिर समित के मुख्य कार्यकारी अधिकारी बीडी सिंह ने अनियमितता के आरोपों को खारिज किया है। उनका कहना है कि वर्ष 2013 की आपदा से पूर्व मंदिर समिति की बोर्ड बैठक में यात्रा के प्रचार के लिए प्रचार सामग्री तैयार करने का प्रस्ताव पारित किया गया था।
इसके लिए एसेंड नाम की कंपनी को बोर्ड द्वारा चुना गया था। कंपनी ने एक लघु फिल्म बनाकर समिति को सौंपी थी। इसे बदरीनाथ धाम काउंटर में विक्रय के लिए रखा गया। इससे प्राप्त आय को समिति के खाते में जमा किया गया। पौड़ी के बिंसर महादेश मंदिर के जीर्णोद्धार का निर्णय और उसे मंदिर समिति के अधीन करने का निर्णय भी बोर्ड में लिया गया।
तत्कालीन अध्यक्ष ने प्रस्ताव बाकर शासन को भेजा और शासन ने एक अधिशासी अभियंता और सहायक अभियंता नामित किया, जिन्हें कोई वित्तीय लाभ देय नहीं था। उन्होंने समिति के अध्यक्ष और बोर्ड के निर्णय पर ही सदस्यों को आर्थिक सहायता दी गई। घड़ियां भी अध्यक्ष के निर्देश और समिति के निर्णय पर खरीदी गईं।