तीर्थनगरी में गंदे नाले जीवनदायिनी गंगा की निर्मलता को ग्रहण लगा रहे हैं। नमामि गंगे अभियान पर करोड़ों का बजट खर्च होने के बाद भी तीर्थनगरी में नालों की गंदगी गंगाजल में घुल रही है। गंगा की निर्मलता का दम भरने वाले अधिकारी तो बेखबर हैं ही, स्वयं को गंगा स्वच्छता प्रहरी कहलाने वाले भी मौन हैं।
तीर्थनगरी ऋषिकेश में गंगा को प्रदूषण मुक्त करने के लिए तीन एसटीपी प्लांट लगाए गए थे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिसंबर 2020 में इन एसटीपी प्लांट का लोकार्पण किया था। उम्मीद यह थी कि गंदे नालों टेप होने से गंदगी से गंगा को राहत मिलेगी लेकिन चंद्रेश्वर नगर, ढालवाला और लक्कड़घाट में एसटीपी प्लांट स्थापित होने पर गंगा में गंदगी गिरने पर अंकुश नहीं लग पाया है। अब भी ऋषिकेश, मुनि की रेती और स्वर्गाश्रम क्षेत्र में ऐसे कई नाले हैं जिनको टेप नहीं किया है। हाल यह है इन नालों से केवल गंदा पानी ही नहीं सीवर भी गंगा में गिरकर गंगा को दूषित कर रहा है।
रंभा नदी का दूषित जल
ऋषिकेश में सर्वहारा नगर का गंदा पानी सीधा रंभा नदी में छोड़ दिया जाता है। लोग यहां स्थित झील में कपड़े धोते हैं। यही नहीं यहां कई घरों के सीवर के पाइप सीधा नदी में खुले हैं। सर्वहारा नगर से होकर गुजरने वाली रंभा नदी से भयंकर दुर्गंध उठती है। गंदगी और सीवर के पानी दूषित हुई रंभा नदी का जल वीरपुर खुर्द में गंगा में मिलता है।
किरमोला घाट के पास स्थित नाला
किरमोला घाट के पास एक बड़ा नाले का पानी सीधा नाले में गिरते हैं। स्वर्गाश्रम क्षेत्र के वार्ड नंबर दो में घरों और दुकानों का पानी इस नाले के जरिये गंगा में पहुंचता है। जबकि नाले के पास ही किरमोला घाट पर श्रद्धालु स्नान करते हैं।
जानकी सेतु के पास स्थित नाला
जानकी सेतु के पास भी एक नाला गंगा में खुलता है। इस नाले में कूड़ा और गंदा पानी सीधा गंगा की धारा में जाकर मिल जाता है। जबकि श्रद्धालु स्नान के दौरान रोज गंदगी को गंगा में गिरते देखते हैं।
खारा स्रोत नाला
खारा स्रोत से होकर गंगा में गिरने वाले नाले से सबसे अधिक गंदगी गंगा में पहुंचती है। हाल यह कि गंदे पानी के शराब, बियर की बोतलें और के तक गंगा सीधे पहुंचती है। यहां सुबह से शाम तक गंगा में गंदा पानी नदी में गिरता है।
आईडीपीएल-कृष्णानगर नाला
आईडीपीएल का नाला पहले संस्थान के बायोलाजिकल ट्रीटमेंट प्लांट में जाता था लेकिन बाद में यह प्लांट बंद कर दिया। अब आईडीपीएल और कृष्णा नगर के नाले का पानी सीधा गंगा में छोड़ दिया जाता है। मामले की शिकायत जिलाधिकारी तक भी पहुंची थी लेकिन अधिकारी क्षेत्र के नगर निगम में शामिल न होने की बात कहकर अपना पल्ला झाड लेते हैं।
नीम बीच के स्थित नाला
– तपोवन क्षेत्र के नीम बीच के पास भी एक गंदा नाला गंगा में खुलता है, जबकि इस क्षेत्र में सबसे अधिक पर्यटक पहुंचते है लेकिन नाले को अब तक टेप नहीं किया गया है।
सभी चिन्हित नालों को टेप कर दिया गया था। सभी एसटीपी प्लांट का संचालन किया जा रहा है। अन्य नालों के विषय में जानकारी नहीं है।
– सचिन कुमार, परियोजना प्रबंधक, परियोजना प्रबंधक, पेयजल निगम
गंगा में गिरने वाले नालों के लेकर जिलाधिकारी को अवगत कराया गया था। बैठकों को इसका विरोध भी किया जाता है लेकिन अधिकारी नगर निगम क्षेत्र में शामिल न होने का हवाला देकर नालों को टेप करने से पल्ला झाड़ लेते हैं। मामले में सरकार और उच्चाधिकारियों से पत्राचार किया जाएगा।
विनोद जुगलान, सदस्य, गंगा सुरक्षा समिति