हरिद्वार में मनसा देवी ट्रस्ट को लेकर असली नकली का खेल जारी है. महंत रविंद्र पुरी महाराज और वासु सिंह के बीच ट्रस्ट को लेकर घमासान मचा है. दरअसल मनसा देवी मंदिर का संचालन निरंजनी अखाड़ा द्वारा किया जाता है. जिसके अध्यक्ष रविंद्रपुरी महाराज हैं, लेकिन उनके नाम से कोई ट्रस्ट रजिस्टर नहीं है. वसीयत के तौर पर मंदिर में व्यवस्थाओं का संचालन किया जाता है. वहीं आरटीआई से मिली जानकारी के मुताबिक जहां मनसा देवी मंदिर बना है और राजा जी रिजर्व पार्क की जमीन है. ये साल 1903 में मंदिर को हस्तांतरित हुई थी. जिसकी वसीयत सरस्वती देवी के नाम बनी है.

जानिए क्या है पूरा मामला?
साल 1972 में 13 लोगों एक ट्रस्ट मनसा देवी के नाम से संचालित था. लेकिन इन सभी लोगों की मृत्यु के बाद से टेस्ट का नवीनीकरण नहीं होने की वजह से फिलहाल कोई भी ट्रस्ट संचालित नहीं है. रविंद्र पुरी महाराज सरस्वती देवी की वसीयतनामा के आधार पर मंदिर का संचालन कर रहे हैं और अध्यक्ष भी हैं. वहीं दूसरी तरफ वासु सिंह और अन्य साथियों ने मनसा देवी धर्मार्थ ट्रस्ट बना दिया. ट्रस्ट बनने के बाद रवींद्र पुरी महाराज ने वासु सिंह और अन्याय के खिलाफ हरिद्वार कोतवाली में मुकदमा दर्ज कराया कि वो फर्जी तरीके से मनसा देवी मंदिर में वसूली कर रहे हैं और जो ट्रस्ट बना है वो फर्जी है. रविंद्र पुरी ने ये भी आरोप लगाया कि कुछ लोग उनकी हत्या का षड्यंत्र रच रहे हैं और मंदिर पर जबरन कब्जा करने की कोशिश भी कर रहे है.

वासु सिंह ने किया ये दावा
वहीं दूसरी तरफ वासु सिंह ने आरटीआई से मिली तमाम दस्तावेजों के आधार पर रविंद्र पुरी को मनसा देवी का फर्जी अध्यक्ष बताया और कहा कि वह फर्जी तरीके से मनसा देवी मंदिर का संचालन कर रहे हैं. जहां करोड़ों का धन चढ़ावे में आता है उसका गबन भी किया जा रहा है. उनका कहना है कि मंदिर का संचालन सही हाथों में जाए ताकि मंदिर में आए चढ़ावे की बर्बादी ना हो. उन्होंने कहा कि मैंने दस्तावेजो के इस मामले को लेकर कोर्ट में दस्तक दी है.

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