चंपावत। 10 मार्च नहीं, बल्कि आज (21 अप्रैल को) असली जीत हुई है। 10 मार्च को खटीमा के चुनाव का नतीजा आने के बाद एक पल तो उनका राजनीति से मोहभंग हो गया था। लगा कि उन्हें राजनीति ही छोड़ देनी चाहिए। ये भाव हैं चंपावत सीट से दूसरी बार चुनाव जीतने के बाद 21 अप्रैल को विधायक पद से इस्तीफा देने वाले कैलाश गहतोड़ी के। गहतोड़ी कहते हैं कि भाजपा की सेना तो विधानसभा चुनाव दो-तिहाई बहुमत से जीत गई थी, लेकिन सेनापति चुनाव हार गए। इस हार से उन्हें लगा कि गलत हुआ है। तभी उन्होंने 10 मार्च को अपनी सीट मुख्यमंत्री के लिए छोड़ने का मन बनाया। गहतोड़ी ने कहा कि वे राजनीति में जन सेवा के लिए आए। जो करना चाहते थे वह पांच साल में नहीं कर सकते थे, लेकिन सीएम ने चुनाव से पहले आज ही विकास के कई बड़े कामों का एलान कर दिया है। उन्होंने कहा कि गोलज्यू और गोरखनाथ धाम के बाद भाजपा संगठन ने भी मेरी सुन ली। मेरी और मेरी जनता की जीत हुई। अब जिले से मेरा रिश्ता विधायक का नहीं, उससे बढ़ा हो गया है। मैं सेवा करता रहूंगा, अब जिम्मेदारी भी बढ़ गई है।

वहीं मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि वे अभिभूत और भावुक हैं। दो बार के विधायक कैलाश गहतोड़ी के त्याग का कोई जवाब नहीं। विकल्प रहित संकल्प के साथ विकास के मूलमंत्र को आगे बढ़ाते हुए सभी की सहभागिता से प्रदेश को आगे ले जाएंगे।
चंपावत। चंपावत। दो विधानसभा सीट वाले चंपावत जिले का सियासी वनवास खत्म हो गया। जुलाई 2009 से इस जिले को प्रदेश मंत्रिमंडल में जगह नहीं मिली थी लेकिन अब चंपावत जिले को मंत्री नहीं, बल्कि कुछ ही महीनों में मुख्यमंत्री मिलने जा रहा है। विधायक कैलाश गहतोड़ी के बृहस्पतिवार को इस्तीफा देने के बाद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी चंपावत सीट से चुनाव लड़ेंगे। इस सीट के समीकरण, कांग्रेस के कमजोर संगठन और प्रदेश की सियासी हवा के आधार पर यह उपचुनाव नतीजों के लिहाज से किसी औपचारिकता से ज्यादा नहीं है। चंपावत जिले के विधायक को प्रदेश सरकार में मार्च 2002 से जुलाई 2009 तक जगह मिली थी। वर्ष 2002 से 2007 तक महेंद्र सिंह माहरा कृषि मंत्री और 2007 से जुलाई 2009 तक बीना महराना महिला सशक्तीकरण एवं बाल विकास राज्यमंत्री रहीं।
युवा मुख्यमंत्री युवाओं की भी सुनें…
चंपावत। युवा मुख्यमंत्री हम युवाओं की भी सुनें। ये बात बृहस्पतिवार को गोरखनाथ दरबार पर आयोजित कार्यक्रम में दो युवाओं ने कहे। पिथौरागढ़ से स्नातक कर चुके भूपेश महर और होशियार महर का कहना था कि नियमिति नियुक्ति न निकलने से पढ़ालिखा बेरोजगार परेशान है। भूपेश कहते हैं कि आठ साल में दो बार पुलिस की भर्ती निकली है। वर्ष 2014 में वे अंडरएज थे और जब दूसरी बार 2022 में भर्ती निकली तो ओवरएज हो गए। ऐसी ही परेशानी होशियार की भी थी। दोनों युवा कहते हैं कि पुष्कर सिंह धामी युवा सीएम हैं, छह माह के पहले कार्यकाल में कुछ अच्छे कदम उठाए हैं। अब वे युवाओं की शिक्षा और पढ़ाई के बाद नौकरी के बारे में सोचे तो नौजवानों की ऊर्जा का ही नहीं, प्रदेश की उत्पादकता भी बढ़ेगी। कहते हैं कि परीक्षा कार्यक्रम निकाला जाए, साथ ही आवेदन पत्र निशुल्क भरा जाए।
गोरखनाथ धाम की धर्म से सियासत तक गूंज…
चंद्रशेखर जोशी
चंपावत। धर्म, अध्यात्म के बाद अब सियासत के मैदान में भी गोरखनाथ धाम की भूमिका बढ़ गई है। उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ के मार्च 2017 में मुख्यमंत्री बनने के बाद गोरखपुर के गोरखनाथ मठ की राजनीतिक हैसियत भी उसकी धार्मिक ताकत की तरह बढ़ी। महंत योगी आदित्यनाथ मुख्यमंत्री बनने से पहले से ही गोरखनाथ मठ के पीठाधीश्वर हैं। वहीं 21 अप्रैल को पहली बार उत्तराखंड के किसी बड़े नेता के चंपावत जिले के मंच के गोरखनाथ दरबार पहुंचने से इस धाम की भी आध्यात्मिक शक्ति के साथ इसका सियासी रुतबा भी बढ़ा है।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने बृहस्पतिवार को गोरखनाथ धाम में पूजा-अर्चना कर आशीर्वाद लिया। चंपावत से 33 किमी दूर मंच तक जाने के बाद करीब दो किमी पैदल चढ़ाई लांघकर सीएम इस दरबार में पहुंचे। जाहिर है कि इतने महत्वपूर्ण दरबार में सड़क की कमी है लेकिन सुविधाओं में इससे भी बड़ी दिक्कत मोबाइल नेटवर्किंग की है और वह भी बीएसएनएल के टावर लगे होने के बाद है। 13 साल से मंच गोरखनाथ दरबार के महंत रहे सोनूनाथ बताते हैं कि यह धर्म संस्कृति, अध्यात्म की भूमि है। जरूर कुछ सुविधाओं की कमी है। उम्मीद है अब इसे दूर किया जा सकेगा। सोनूनाथ बताते हैं कि दरबार में आज से पहले कभी कोई मंत्री या मुख्यमंत्री नहीं आया था। बृहस्पतिवार को पहली बार पुष्कर सिंह धामी ने यहां से आशीर्वाद लिया। इसके अच्छे नतीजे उन्हें और प्रदेश को मिलेंगे।

By Tarun

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