चारधाम यातायात आपातकालीन घटना प्रबंधन प्रणाली का प्रस्ताव तैयार। राज्य की पांच प्रमुख संस्थाएं जुड़ेंगी, करीब 160 करोड़ की होगी परियोजना।
जल्द ही पीएमसी की टीम के सदस्य उत्तराखंड का दौरा करेंगे और हितधारक विभागों के साथ चारधाम यातायात आपातकालीन घटना प्रबंधन प्रणाली बनाने के लिए एक-दूसरे के साथ सूचनाओं को साझा करेंगे। इस परियोजना पर करीब 160 करोड़ रुपये की लागत का अनुमान है। मंत्रालय के अपर सचिव अमित कुमार घोष ने इस संबंध में प्रमुख सचिव (लोनिवि) आरके सुधांशु को पत्र लिखा है। पत्र में कहा गया है कि मंत्रालय के राजमार्ग डिविजन की पीएमसी की टीम उत्तराखंड आएगी और एक बैठक करेगी। बैठक में राज्य सरकार के अधिकारियों के साथ वर्तमान और भविष्य की योजनाओं पर चर्चा करेगी।
सुगम तो हुआ महामार्ग मगर हादसों का खतरा बरकरार
चारधाम महामार्ग परियोजना के बनने से बदरीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री धाम की यात्रा सुगम तो हुई, लेकिन दुर्घटनाओं का खतरा बरकरार है। दरअसल, जटिल भौगोलिक परिस्थितियों की वजह से मार्ग पर भूस्खलन का खतरा बना हुआ है। खराब मौसम के समय इस खतरे की ज्यादा संभावना रहती है। मार्ग अधिक चौड़ा होने के कारण इस पर वाहनों की गति भी बढ़ गई है। इससे भी दुर्घटना का खतरा बना रहता है।
ऋषिकेश में केंद्रीय नियंत्रण कक्ष बनेगा
महामार्ग के लिए प्रस्तावित चारधाम यातायात आपातकालीन घटना प्रबंधन प्रणाली का केंद्रीय नियंत्रण कक्ष ऋषिकेश में बनेगा। जिला मुख्यालयों पर प्रोजेक्ट कंट्रोल रूम स्थापित करने की योजना है। इन नियंत्रण कक्षों के माध्यम से राज्य के सभी राष्ट्रीय राजमार्गों की प्रभावी और रियल टाइम मॉनिटरिंग होगी।
सुरक्षा कवच योजना से जुड़ेंगे ये विभाग
केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने चारधाम यातायात आपातकालीन घटना प्रबंधन प्रणाली को लागू करने के लिए पांच प्रमुख हितधारक सूचीबद्ध किए हैं। इनमें राज्य सरकार का गृह विभाग, मंत्रालय का क्षेत्रीय कार्यालय, उत्तराखंड राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण, राज्य आपदा मोचन बल और जिला आपाद प्रबंधन अधिकारी देहरादून होंगे।