यूपी विधानसभा चुनाव में सातवें और अंतिम चरण की नामांकन की प्रक्रिया बृहस्पतिवार को पूरी हो गई। अब केवल पर्चे की जांच और नाम वापसी होनी है। पूर्वांचल की कई सीटों पर सपा और उसके सहयोगी दलों में दरार दिखाई देने लगी है। जौनपुर में तीन सीटों से एक ही पार्टी से दो-दो लोगों ने नामांकन कर दिया दै। पहले बात जौनपुर की, जहां प्रत्याशियों के चयन को लेकर सपा गठबंधन में घमासान मचा हुआ है। इस घमासान में दो पूर्व मंत्रियों की भी प्रतिष्ठा दांव पर लगी हुई है। हालांकि सब कुछ ठीक-ठाक करने में पार्टी हाईकमान तक लोग लगे हुए हैं।
वे दबी जुबान से प्रत्याशियों के नाम बता रहे हैं, लेकिन, पार्टी के अंतिम फैसले का इंतजार कर रहे हैं। सपा से साल 2002 और 2007 में शाहगंज और 2012 और 2017 में मछलीशहर से लगातार विधायक और पूर्व राज्यमंत्री जगदीश सोनकर के नामांकन के ठीक पहले टिकट पार्टी हाईकमान ने काट दिया।उनके स्थान पर पूर्व विधायक कैलाश सोनकर की बेटी और वाराणसी निवासी डॉ. रागिनी सोनकर को प्रत्याशी घोषित किया। वहीं, सदर सीट पर 1993 में विधायक रहे मोहम्मद अरशद खान को सिंबल दे दिया है। साथ ही एक और सिंबल पूर्व में तेज बहादुर मौर्य को भी पार्टी हाईकमान स्तर से मिला है।इस आधार पर दोनों नेताओं ने अपना नामांकन समाजवादी पार्टी के सिब्बल लगाकर किया है। साथ ही अपना-अपना टिकट तय बना रहे हैं। इसी तरह गठबंधन के तहत सपा ने जफराबाद सीट ओमप्रकाश राजभर की अगुवाई वाली सुभासपा को दे दिया है।जहां से 1993 बयालसी (अब जफराबाद) से विधायक रहे व पूर्व मंत्री श्रीराम यादव को सिब्बल दे दिया। जबकि ऐन वक्त पर 1996, 2002 और 2007 में लगातार विधायक रहे और पूर्व कैबिनेट मंत्री जगदीश नारायण राय को भी सिब्बल दे दिया। ऐसे में दोनों पूर्व मंत्रियों ने भी अपना नामांकन करके प्रतिष्ठा दांव पर लगा दी है। वहीं, मुंगराबादशाहपुर सीट से डॉ. पंकज पटेल और चंद दिनों पहले भाजपा में रहे दिलीप राय बलवानी को सिब्बल देकर वहां भी पेंच फंसा दिया।इसके पहले मड़ियाहूं में लगातार 2004 के उपचुनाव और 2012 में चुनाव जीतने वाली श्रद्धा यादव का टिकट काटकर सपा ने साल 2017 में बसपा से मुंगराबादशाहपुर सीट से विधायक बनीं और पिछले साल सपा में आई सुषमा पटेल को टिकट दे दिया।ऐसे में अभी श्रद्धा यादव के समर्थक अभी तक नाराज चल रहे हैं। हालांकि इस बाबत सपा के जिलाध्यक्ष लाल बहादुर यादव का कहना है कि सभी अपने हैं, सभी को संतुष्ट किया जाएगा।  फिलहाल जिला समाजवादी पार्टी मझवां विधानसभा सीट पर रोहित शुक्ला और मड़िहान सीट पर रविंद्र बहादुर पटेल को अधिकृत प्रत्याशी बता रही है, चुनार सीट गठबंधन के अपना दल कमेरावादी के खाते में जाने की बात कह रही है, पर जब तक नामांकन पत्रों के जांच के बाद पार्टी की मुहर नहीं लगती, तब तक कौन चुनावी मैदान में रहेगा, इसे लेकर संशय बना हुआ है।बुधवार को सपा गठबंधन की अपना दल कमेरावादी से मड़िहान से अवधेश पटेल, चुनार से आरएस पटेल ने नामांकन किया। उससे पहले मझवां सीट से सपा के दामोदर मौर्या ने नामांकन किया था। इसके बाद से इन तीनों सीटो पर प्रत्याशी बदले जाने की चर्चा तेज हो गई।इस बीच बृहस्पतिवार को मझवां से सपा प्रत्याशी रोहित शुक्ला और मड़िहान से रविंद्र बहादुर पटेल ने जिले के पदाधिकारियों के साथ नामांकन किया। नामांकन खत्म होने के 15 मिनट पहले बीते दिनों सपा में शामिल हुए रामराज पटेल ने चुनार से नामांकन किया।नामांकन तो निर्दल के रुप में किया, पर सपा नेता होने के बाद नामांकन करने पर सवाल उठने लगा। रामराज ने भी दावा किया कि उनको पार्टी कार्यालय से नामांकन करने का निर्देश मिला है। सपा जिलाध्यक्ष देवी प्रसाद चौधरी ने मझवां से रोहित शुक्ला और मड़िहान से रविंद्र बहादुर पटेल को पार्टी का अधिकृत प्रत्याशी बताया।रामराज के नामांकन पर बताया कि उनके बारे में कोई जानकारी नहीं है। नामांकन करने वाले सभी प्रत्याशी अपना दावा कर रहे हैं, ऐसे में अब नामांकन पत्रों की जांच और नामांकन वापसी के बाद ही अधिकृत प्रत्याशी पर मुहर लगेगी।हालांकि रात को सपा प्रवक्ता अशोक सिंह ने सपा के प्रमुख महासचिव प्रो. रामगोपाल यादव का पत्र जारी किया है। जिसमें पूर्व में प्रत्याशी बनाए गए दामोदर के स्थान पर रोहित शुक्ला को पार्टी का अधिकृत प्रत्याशी स्वीकार किया।

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