भय्यू महाराज आत्महत्या मामले में इंदौर की कोर्ट ने फैसला सुना दिया है। तीन दोषियों को छह-छह साल की सजा सुनाई गई है। आइए फिर याद दिलाते हैं कि कौन थे भय्यू महाराज, कैसे इस मुकाम पर पहुंचे. आत्महत्या के बारे में सबकुछ। तो आइए शुरू से शुरू करते हैं।

भय्यू महाराज का वास्तविक नाम उदयसिंह देशमुख था। 1968 में मध्य प्रदेश के शुजालपुर में मध्यमवर्गीय किसान परिवार में उनका जन्म हुआ था। भय्यू महाराज ने मुंबई की बड़ी कंपनी में मैनेजमेंट कंपनी में नौकरी की, फिर मॉडलिंग की। अगस्त 2011 में कांग्रेस सरकार और अन्ना हजारे आंदोलन में मध्यस्थ की भूमिका निभाकर वे रातोंरात सुर्खियों में आ चुके थे। उनके कई हाईप्रोफाइल भक्त रहे हैं। उन्होंने महाराष्ट्र सीएम, प्रतिभा पाटिल के राष्ट्रपति बनने की भविष्यवाणी कर चुके थे।

मॉडलिंग से अपना करियर शुरू करने वाले उदयसिंह देशमुख की रूचि शुरू से ही समाजसेवा और धार्मिक कार्यों में रही। उन्होंने महाराष्ट्र की संत परंपरा के अनुसार समाजसेवा को अपनाया और अनेक सेवा प्रकल्प शुरू किए। भय्यू महाराज की राजनैतिक क्षेत्रों में अच्छी पकड़ थी। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी उनके ट्रस्ट के आयोजनों में दो बार जा चुके हैं। प्रधानमंत्री पद की शपथ के दौरान भी भय्यू महाराज दिल्ली में मौजूद थे।

12 जून को एक खबर ने सबको चौंका दिया, कि भय्यू महाराज ने इंदौर के घर में खुद को गोली मारकर आत्महत्या कर ली। वो मंगलवार का दिन था। उन्हें बॉम्बे हॉस्पिटल लाया गया लेकिन पहले ही उनकी मौत हो चुकी थी। खुदखुशी की खबर के बाद समर्थकों में मातम फैल गया। इस बीच एक पेज का सुसाइड नोट भी बरामद किया गया। अंग्रेजी में लिखे सुसाइड नोट के मुताबिक वे बहुत तनाव में थे। तनाव से तंग आकर दुनिया छोड़कर जा रहा हूं। आगे लिखा था कि मेरे परिवार की जिम्मेदारी उठाने के लिए कोई आगे आए।  पुलिस ने इस सनसनीखेज घटना के सात महीने बाद उनके दो विश्वस्त सहयोगियों-विनायक दुधाड़े और शरद देशमुख के साथ एक युवती को गिरफ्तार किया था। पुलिस के मुताबिक भय्यू महाराज के नजदीक रही युवती आपत्तिजनक चैट और अन्य निजी वस्तुओं के बूते उन पर शादी के लिये कथित रूप से दबाव बना रही थी, जबकि अधेड़ उम्र के आध्यात्मिक गुरु पहले से शादीशुदा थे।

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