न पहुंचने का ढंग का रास्ता है न आवागमन, फिर भी कॉरपोरेट एजेंटों और दूरदराज से आ रहे कारोबारियों की आंखें चौंधियाई हुई हैं। आखिर बदहाल से पड़े इलाके के इस भूखंड में है क्या? यहां बगैर सड़क के ही तीन बड़े प्लॉट घेरकर विशाल गेट से सजे हैं, जबकि निशान लगाकर छोड़े दर्जनभर से अधिक प्लॉट सीध में नजर आ रहे हैं, मानो कोई नया शहर-बाजार बसने वाला है।
किसान कहते हैं कि पता नहीं क्या है कि अफसरों ने जबसे यहां जमीन खरीदी है, आए दिन मुंहमांगी रकम देने को तैयार कई बाहरी लोग यहां फाइव स्टार होटल, बिजनेस कॉम्पलेक्स और कॉलोनी बनाने की बातें करते दिखते हैं।माझा बरहटा गांव के किसान संग्राम निषाद व अरविंद कुमार यादव खेतों में काम करते मिले। बोले, वे जिस खेत से दो जून की रोटी का जुगाड़ करते हैं, वह जमीन अधिग्रहण में चली गई है। इसे हम अपना समझते थे, लेकिन अधिग्रहण हुआ तो पता चला कि महर्षि रामायण विद्यार्थी ट्रस्ट के नाम है। गांव के हाईवे से सटे दोनों तरफ के कई मजरे में आबाद लोग भी अवैध हो गए हैं। उनके घर ही नहीं, सरकार की ओर से बने स्कूल- पंचायत भवन तक गिराने की मुनादी हो चुकी है। महर्षि रामायण विद्यार्थी ट्रस्ट ने पूरी भूमि आवास विकास परिषद के नाम कर दी है।
कुसुम ने बताया कि यह चारों से सीमेंटेंड पिलर से घेरकर पीले रंग का गेट लगा भूखंड डीआईजी साहब का है, बगल में घेरा हुआ भव्य गेट लगा प्लॉट डीएम साहब का है, वे कई बार यहां आ चुके हैं।
अफसरों की जमीन के सामने 30 मीटर चौड़ी सड़क स्वीकृत
जहां अफसरों के प्लॉट हैं ठीक उसके सामने 30 मीटर चौड़ी सड़क स्वीकृत हो गई है। यह सड़क एक तरफ नयाघाट- हाईवे सिक्स लेन सड़क से जुड़ेगी, तो दूसरी तरफ लखनऊ-गोरखपुर फोरलेन मार्ग से।
अफसरों के प्लॉट के सामने स्वीकृत इस सड़क के दूसरी तरफ नव्य अयोध्या के लिए अधिग्रहण हुआ है। जहां बड़े-बड़े व्यावसायिक भवन, होटल, रेस्त्रा आदि बनने हैं, जिससे अयोध्या शहर का विस्तार हाईव तक हो। सड़क बनते ही इस भूमि की कीमत आसमान पर होगी। यहां से श्रीरामजन्मभूमि की दूरी बमुश्किल दो किमी है।