पंचायत चुनाव को लेकर मध्य प्रदेश सरकार के अध्यादेश को दी गई है चुनौती। हाईकोर्ट को जल्द सुनवाई करने के निर्देश। वकील का दावा- सुप्रीम कोर्ट ने अध्यादेश को गैर-संवैधानिक पाया।

मध्य प्रदेश में त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों को लेकर जारी अध्यादेश को चुनौती देने वाली याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश हाईकोर्ट में लौटा दिया है। कोर्ट ने कहा कि जब मामले पर हाईकोर्ट सुनवाई कर रही है तो दो अदालतों को इस मसले पर सुनवाई करने की आवश्यकता नहीं है। साथ ही हाईकोर्ट को 16 दिसंबर को इस पर सुनवाई करने के निर्देश दिए हैं।

मध्य प्रदेश में पंचायत चुनाव को लेकर दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में बुधवार को सुनवाई हुई। इससे पहले 7, 11, 13 और 14 दिसंबर में सुनवाई टल गई थी। कांग्रेस नेता सैयद जाफर और जया ठाकुर ने मध्य प्रदेश पंचायत चुनाव को लेकर सरकार के अध्यादेश को चुनौती दी है। याचिकाकर्ता के वकील वरुण ठाकुर ने कहा कि हमने सुप्रीम कोर्ट के सामने अध्यादेश को गैर-संवैधानिक होने की बात कही। सुप्रीम कोर्ट ने भी यह माना है। उसने यह भी कहा कि चूंकि, मामला हाईकोर्ट में पहले से चल रहा है। इस वजह से इसे लेकर दो अदालतों को सुनवाई करने की जरूरत नहीं है। हाईकोर्ट में ही इसे पेश करें। अगर आप इसे कल मेंशन करेंगे तो इसे कल (16 दिसंबर) ही सुना जाएगा।

क्या है अध्यादेश में
पिछले महीने राज्य सरकार ने मध्य प्रदेश पंचायत राज एवं ग्राम स्वराज (संशोधन) अध्यादेश-2021 लागू किया था। इसके जरिए कमलनाथ सरकार की बनाई व्यवस्था को पलट दिया गया था। नए अध्यादेश से सरकार ने ऐसी पंचायतों का परिसीमन निरस्त कर दिया है, जहां एक साल में चुनाव नहीं हुए हैं। सभी जिला, जनपद या ग्राम पंचायतों में पुरानी व्यवस्था ही लागू रहेगी। यानी 2014 की ही व्यवस्था रहेगी। जो पद जिस वर्ग के लिए आरक्षित है, वही रहेगा। कांग्रेस नेताओं का कहना है कि पंचायत राज कानून में रोटेशन आधार पर आरक्षण होता है। अध्यादेश ने इसकी मूल भावना का उल्लंघन किया है। इस वजह से यह गैर-संवैधानिक है और इसे तत्काल रद्द किया जाए।

 

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