अक्सर लोग सोचते हैं कि मुख्यमंत्री बनने के बाद कोई समस्या नहीं आती होगी। सबकुछ अच्छा होता होगा लेकिन मध्यप्रदेश के संदर्भ में यह बात गलत साबित हो रही है। यहां तो प्रदेश के मुखिया ही पानी को तरस रहे हैं। चौंकिए मत, यह सच है। चुनावी सभाओं में लोगों को विकास की सौगातें देने के वादे करने वाले मुख्यमंत्री के गृह गांव में ही पानी नहीं है। अब वे अफसरों को अल्टीमेटम दे रहे हैं कि 15 दिन में व्यवस्था सुधार लो वरना ठीक नहीं होगा।
दरअसल ये तस्वीर है मध्यप्रदेश के सीहोर जिले के गांव जैत की। यह मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का गृह गांव है। शनिवार को मुख्यमंत्री यहां दौरे पर पहुंचे तो उनके गांव व आसपास के गांव के लोगों ने जलसंकट की समस्या बताई। कहा कि पानी नहीं आता है। सीएम के पास इस तरह की शिकायतों के आवेदनों का ढेर लग गया। इसके बाद सीएम शिवराज की त्यौरियां चढ़ गई और मंच से सबके सामने संबंधित अधिकारियों की लू उतार दी।
क्या नलों की टोटी चेक करेगा मुख्यमंत्री
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने तीखे तेवरों में कहा कि क्या ये काम भी मुख्यमंत्री करेगा। क्या हम्माली करेगा मुख्यमंत्री। नलों की एक एक टोटी चेक करेगा क्या। 15 दिन का समय दे रहा हूं। समस्या ठीक करो। अगर शिकायत आई तो सबको सही कर दूंगा। 15 दिन बाद कलेक्टर-कमिश्नर खुद चेक करेंगे। सरकार नर्मदा का पानी लाने में खर्च कर रही है लेकिन आधे गांव में पानी आधे में नहीं। ये क्या स्थिति है।