दीपों के पर्व दीवाली को लेकर शहर में लोगों ने जमकर खरीदारी की। बाजार में लक्ष्मी-गणेश की मूर्ति के अलावा लाई, खिलौना, मोमबत्ती, पटाखा, मिट्टी के दीपक आदि की खरीदारी देर शाम तक हुई। लोग दीवाली को लेकर उमंग में हैं। दीपावली पर्व पर बाजारों में भीड़ उमड़ पड़ी। भीड़ देख कारोबारियों के चेहरे खिल उठे। भीड़ के चलते उन्हें दिनभर फुरसत नहीं मिली। देर रात तक बाजार गुलजार रहे।

दीपोत्सव पर्व मनाने को लोगों में उत्साह देखा गया। कामकाज निपटाने के बाद लोगों ने बाजार का रुख कर लिया। जैसे-जैसे दिन चढ़ता गया लोगों की भीड़ बढ़ती चली गई। मांग के साथ ही कीमतों पर असर देखा जा रहा है। खील, बताशे, देवी-देवताओं की प्रतिमाएं, कैंलेंडर, बिजली की झालर, सजावट के सामान, मोमबती आदि की जमकर खरीदारी हुई। मिट्टी के दीपक भी खूब बिके। हर दुकान पर भीड़ दिखी। लोगों ने अपनी आवश्यकता के अनुसार खरीदारी की। सबका घर रौशन करने के लिए मिट्टी गढ़कर दीपक बनाने वाले कुम्हारों के घर भी इस बार समृद्धि की रोशनी बिखरी। इस दिवाली कुम्हारों के घर भी खुशी के दीप जले। खूब बिकीं विद्युत झालरें

दीवाली रोशनी का पर्व है। इस पर्व पर अपने घरों को लोग विद्युत झालरों से सजाते हैं। इसके चलते बाजार में झालरों की खूब खरीदारी हुई। वहीं इस बार तो भारतीय झालरों की भी भरमार दिखी। पटाखा बाजार भी गुलजार

दीपावली पर्व को लेकर शहर के सिविल लाइन स्थित सिटी क्लब मैदान पर पटाखे की दुकान लगाई गई थी। सुबह से दुकानों में जमकर भीड़ रही। लोगों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए फायर ब्रिगेड एवं पानी टंकियों की व्यवस्था कर सुरक्षित दुकानें संचालित की गई। वहीं पुलिस-प्रशासन भी पूरी तरह चाक-चौबंद रहा। माटी के दीयों की टिमटिमाटी रोशनी से जगमग हुए घर-आंगन

इस बार अधिकांश लोगों ने घरों पर मिट्टी के दीयों से अंधियारे को मिटाया। बिजली की झालरों, लड़ियों व मोमबत्ती से भी लोगों के घर रोशन दिखे। हर घर, परिवार, कार्यालय में लक्ष्मी-गणेश का पूजन कर उनका स्वागत किया गया। धन की देवी लक्ष्मी से समृद्धि व वित्तकोष की कामना की गई।

खूब बिकी मिठाइयां, दुकानों पर रही भीड़

हर बार की तरह इस बार भी खोवा व छेना की मिठाइयों के अलावा सबसे अधिक मगदल, लड्डू, टिकिया, खजूर आदि देशी मिठाइयों की धूम रही। पिछली बार की अपेक्षा मिठाई का कारोबार इस बार अधिक रहा। मिठाई की दुकानों पर सुबह से ही ग्राहकों की भीड़ उमड़ पड़ी।

गेंदे के गजरे व फूल-मालाओं पर दिखा महंगाई का असर

इस बार गेंदे के फूल के माले काफी महंगे बिके। छोटे माले जहां 15 से 20 रुपये प्रति पीस बिके। वहीं बड़े गजरे 30 से 50 रुपये तक बिके। त्योहारों पर पूजा-पाठ के लिए सबसे अधिक उपयोग फूल-मालाओं का होता है। कोरोना संकट के बाद इस बार हर कोई पर्व को लेकर उत्साहित है और मांग के सापेक्ष मार्केट में फूल-माला कम होने के कारण काफी मंहगी दर पर बिके।

मिट्टी व तार से बने लक्ष्मी-गणेश की रही मांग

चुनार नगर से भले ही पूरे प्रदेश व बिहार, छत्तीसगढ़, झारखंड आदि प्रदेशों में प्लास्ट की लक्ष्मी-गणेश की प्रतिमाएं जाती हों, लेकिन नगरवासियों के घरों व प्रतिष्ठानों में पूजा-पाठ के लिए स्थानीय कारीगरों द्वारा बनाई जाने वाली मिट्टी की लक्ष्मी-गणेश की प्रतिमाओं की डिमांड अधिक रही। मार्केट में प्लास्टर आफ पेरिस की मूर्तियों की बिक्री भी हुई। सूरन बिका साठ से सत्तर रुपये किलो

दीवाली पर सूरन (जिमीकंद) की मांग बढ़ जाने से बाजारों में साठ से सत्तर रुपये प्रति किलो तक बिका। त्योहार के मौके पर विभिन्न व्यंजनों के साथ ही परंपरागत सूरन की सब्जी व अन्य पकवान दीवाली पर कमोबेश हर घर में बनाए जाते हैं। बंबइया सूरन जहां 30 से 40 रुपये प्रतिकिलो बिका। वहीं देशी सूरन का भाव डेढ़ गुना अधिक रहा।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Uttarakhand