रामलीला मैदान में आयोजित श्री रामलीला महोत्सव के तहत सोमवार को मथुरा के श्री आदर्श रामलीला मंडल के कलाकारों ने सोमवार को दशरथ मरण, भरत मिलाप और पंचवटी निवास लीला का मंचन किया। कलाकारों ने इतना बेहतरीन मंचन किया कि दशरथ मरण और भरत मिलाप देखकर दर्शक भावुक हो गए।
राम-लक्ष्मण और सीता के वन जाने के वियोग में राजा दशरथ प्राण त्याग देते हैं। इस दौरान चारों पुत्रों में से कोई अयोध्या में नहीं होता है। गुरु वशिष्ठ सेवकों को ननिहाल भेजकर भरत और शत्रुघ्न को बुलवाते हैं। सूनी अयोध्या देखकर दोनों भाई परेशान होते हैं। राजमहलों मे जब पता चलता है कि पिता दशरथ ने प्राण त्याग दिए हैं तो दोनों व्याकुल हो जाते हैं। वहीं राम-लक्ष्मण और सीता को वनवास भेजने की सूचना पर भरत ने माता कैकई को खरी खोटी सुनाई। उन्होंने कहा कि पापिनी तुमने सभी तरह से कुल का नाश कर दिया है। इसके बाद भरत पिता का अंतिम संस्कार कर प्रभु श्री राम से मिलने जाते हैं। विरह की लीला देखकर दर्शकों की आंखों में भी आंसू आ गए। इस मौके पर लील संयोजक अरविंद कुमार, सर्वेश कुमार, अमित अग्रवाल, टीएन मित्तल, ऋषभ गर्ग, संयम पाराशर, अजीत मित्तल, ऋषि भारद्वाज आदि मौजूद रहे।
अंगद-रावण संवाद सुनकर दर्शक हुए गदगद
नगला बरौला में श्री ग्यासीराम रामलीला महोत्सव के तहत सोमवार को अंगद रावण संवाद का आयोजन होता है। जिसे सुनकर दर्शक गदगद हो गए।
रामा दल में चर्चा होती है कि रावण के पास युद्ध के टालने के प्रयास को लेकर किसी को भेजा जाए। जामवंत सलाह देते हैं कि युवराज अंगद को दूत बनाकर भेजा जाए। लंका में पहुंचकर अंगद पहले बल और बाद में अपनी बुद्धिमत्ता का परिचय देते हैं। आपसी वाद विवाद में रावण का मद दूर करने के लिए अंगद भरी सभा में अपने पैर को हिलाने की चुनौती देते हैं। रावण के दरबारी, राक्षस और तमाम योद्धा आते हैं के लिए अंगद के पैर को हिला नहीं सके। अंगद के ललकारने पर रावण स्वयं पैर को हिलाने आता है। इस पर अंगद कहते हैं कि मेरे चरणों की जगह प्रभु श्री राम के चरण पकड़ोगे तो निश्चित ही भला होगा। इसी के साथ लीला के मंचन को विश्राम दिया जाता है। इस मौके पर डायरेक्टर योगेश राजपूत, राकेश एनसीआर, सुभाष वर्मा, जुगेंद्र वर्मा, मनोज गौतम, पवन लोधी, प्रदीप बघेल, सत्येंद्र, अनिकेत, राहुल, कुलदीप आदि मौजूद रहे।