कोई भी साधना नाम जप से बड़ी नही होती इसलिए सारी सिद्धियां मृत्यु उपरांत खत्म हो जाती है जो शक्ति ईश्वर के नाम में है वो और किसी मन्त्र में या तन्त्र में नही तभी तुलसीदास ने भी कहा है
सुमिरि पवनसुत पावन नामू अपने बस करि राखे रामू ।
जो काम प्रभो के नाम से हो जाएगा वो काम अन्य किसी साधन या साधना से भी नही होगा संसार की कोई साधना परमात्मा को वश में नही कर सकती केवल और केवल नाम साधना या मूल मंत्र साधना जो सबको नही पता वही प्रभो को वश में करने की सामर्थ्य रखती है अन्यथा जितने मर्जी तन्त्र मन्त्र करो बड़े बड़े असुर और सुर भी प्रभो को वश में न कर सके ।
वहीं हरि भक्तों ने केवल नाम सुमिरण और भक्ति से वश में कर लिया और भगवन साथ साथ घूमते रहे ऐसे भक्तों के यही है नाम जप की महिमा
संसार में ऐसा कोई कर्म नही जो नाम जप और भजन से न कट सके ऐसा कोई पदार्थ नही जो नाम जपकर्ता के चाहने से उसे न मिल जाये
ऐसे नाम जप में जीवन लगा देना ही सार्थकता है नाम जपकर्ता की मुक्ति भी दासी हो जाती है
कहो कहा लगी नाम बड़ाई राम न सकहि नाम गुण गाई
राम खुद नाम की महिमा नही बता सकते परमात्मा खुद अपने नाम की महिमा गाने में असमर्थ है ऐसी महिमा है नाम की

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Uttarakhand