मां चामुंडा देवी उत्थान समिति के तत्वाधान में शारदीय नवरात्र के पहले दिन कलश यात्रा निकाली गई। कलश यात्रा में श्रद्धालु टाइगर रिजर्व क्षेत्र स्थित ललिता तीर्थ मेरू पर्वत सोनार कोटी जाने चाहते थे। वन विभाग के कर्मचारियों ने यात्रा को हनुमान मंदिर के निकट ही रोक दिया। इससे नाराज श्रद्धालुओं ने वहीं कलश स्थापित कर 25 अक्तूबर को वन विभाग के हरिद्वार रेंज कार्यालय में सांकेतिक धरना की चेतावनी दी।
समिति सचिव सुनील शर्मा ने बताया कि सुबह 10 बजे हरकी पैड़ी से कलश यात्रा शुरू की गई। यात्रा में तीन दर्जन से अधिक श्रद्धालु शामिल थे। यात्रा हनुमान मंदिर के निकट पहुंची तो वन विभाग ने रोक दी। सुनील शर्मा ने कहा कि 2006 से पहले हर साल कलश मंदिर में स्थापित होता था। लेकिन इसके बाद वन विभाग के अधिकारियों ने इस पर रोक लगा थी। उन्होंने दावा किया देवी ललिता तीर्थ मेरू पर्वत सोनार कोटी में प्राचीन मां चमुंडा देवी का मंदिर के अवशेष हैं। जिसका उल्लेख पुराणों में भी है।
यात्रा रोके जाने पर श्रद्धालुओं ने नाराजगी जताते हुए हनुमान मंदिर के पास ही कलश स्थापित किया। नवमी को प्रवेश द्वार पर ही भंडारा किया जाएगा। 25 अक्तूबर को रेंज कार्यालय में धरना देकर मां चामुंडा देवी ललिता तीर्थ मेरू पर्वत का जीर्णोद्धार एवं पूजा पाठ एवं भंडारा आयोजित करने की अनुमति की मांग की जाएगी। कलश यात्रा में समिति उपाध्यक्ष रवि शर्मा, महन्ंत नंद गिरि, मुनिशानंद गिरि, दिनेश शर्मा, तोताराम, रवि बाबू शर्मा, सन्नी कुमार, रविकान्ंत, जयकुमार, विष्णु कश्यप, राहुल मानू आदि श्रद्धालु शोभा यात्रा में शामिल हुए। रेंजर विजय कुमार सैनी का कहना है कि रिजर्व फारेस्ट होने के कारण कलश यात्रा को रोका गया। रिजर्व फारेस्ट क्षेत्र में किसी भी बाहरी व्यक्ति की आवाजाही पर रोक है।
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